Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Nov, 2023 08:22 AM
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आज 24 नवंबर कार्तिक माह के शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस व्रत के शुभ प्रभाव से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस बार का शुक्र प्रदोष व्रत अपने साथ 7
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Shukra Pradosh Vrat 2023: आज 24 नवंबर कार्तिक माह के शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस व्रत के शुभ प्रभाव से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस बार का शुक्र प्रदोष व्रत अपने साथ 7 अद्भुत संयोग लेकर आया है। इन शुभ योगों में भगवान शिव की पूजा करने से अन्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक पुण्य प्राप्त होगा।
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Shukra Pradosh vrat shubh muhurat शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज 24 नवंबर की शाम 07 बजकर 06 मिनट पर आरंभ होगी और कल यानी 25 नवंबर की शाम 05 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। अत: भगवान शिव की पूजा आज ही की जाएगी।
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Auspicious yoga is being formed on Shukra Pradosh शुक्र प्रदोष पर बन रहे हैं शुभ योग
शुक्र प्रदोष पर सिद्धि योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सारा दिन रहेगा। अमृत सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 01 मिनट तक है। इन शुभ योगों के दौरान भगवान शिव और उनके पूरे परिवार की पूजा करने से असिमित पुण्यों की प्राप्ति होती है।
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Karan करण
आज बव करण सुबह 08 बजकर 03 मिनट तक रहेगा तत्पश्चात बालव करण का निर्माण होगा, जो सांय 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। बालव करण के विश्राम होने के बाद कौलव करण का आरंभ होगा। ज्योतिष शास्त्र में तीनों करण को बहुत उत्तम माना गया है।
Special remedy for Shukra Pradosh शुक्र प्रदोष का विशेष उपाय
सुबह और शाम रुद्राभिषेक करें। भोलेनाथ अपने नाम के अनुरुप बहुत भोले हैं। भगवान शिव एक लोटा जल से भी प्रसन्न होकर अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वहीं रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति की कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।
हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सबको मिलाकर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है। वहीं रुद्राभिषेक से कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाएं भी दूर होती हैं।
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Benefits of Rudrabhishek of Lord Shiva भगवान शिव के रुद्राभिषेक के लाभ
शिवलिंग का जलाभिषेक करने से धन वर्षा होती है।
कुशोदक अर्थात ऐसा जल जिसमें कुश घास की पत्तियां छोड़ी गई हों से रुद्राभिषेक करें। इससे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
दही से रुद्राभिषेक करने से भवन-वाहन की प्राप्ति होती है।
शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करने पर अपार लक्ष्मी मिलती है।
शहद व घी से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने से धन में वृद्धि होती है।
तीर्थ के जल से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रोगों से मुक्ति हेतु इत्र से अभिषेक करने से लाभ होता है।
दूध से रुद्राभिषेक करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
शीतल जल या गंगा जल से रुद्राभिषेक करने से ज्वर से शांति मिलती है।
सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
दूध में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक करने के मंदबुद्धि भी विद्वान हो जाता है।
शत्रुओं से परेशान हैं तो सरसों के तेल से शिवलिंग पर अभिषेक करने से दुश्मन पराजित होंगे।