करतारपुर कॉरिडोर ने अब 75 वर्ष पहले बिछड़े भाई-बहन को मिलाया

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 May, 2023 08:03 AM

siblings reunite after 75 years at kartarpur

एक व्यक्ति तथा उसकी बहन, जो 75 वर्ष पहले बिछड़ गए थे, करतारपुर (पाकिस्तान) में पुन: मिल गए। इन भाई-बहन

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गुरदासपुर/नारोवाल (विनोद): एक व्यक्ति तथा उसकी बहन, जो 75 वर्ष पहले बिछड़ गए थे, करतारपुर (पाकिस्तान) में पुन: मिल गए। इन भाई-बहन के मिलने पर सभी उपस्थित लोग बहुत ही भावुक हो गए।

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सीमापार सूत्रों के अनुसार महिन्द्र कौर (81) ने अपने पारिवारिक मैंबरों के साथ भारत से गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर की यात्रा करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते की। इसी तरह 78 वर्षीय शेख अब्बदुल्ला अजीज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से अपने परिवार सहित करतारपुर आया। करतारपुर कॉरिडोर जिसे प्यार, शांति तथा पुन: मिलाप के गलियारे के रूप में भी अब जाना जाता है, ने लम्बे समय के बाद गुम हुए भाई-बहन को इकट्ठा किया। दोनों मूल रूप में भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले भारत में रहते थे। भावुक होकर दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और अपने माता-पिता की मौत पर गहरे दुख का प्रकटावा किया। 

मिली जानकारी के अनुसार भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले भारतीय पंजाब में रहने वाले भजन सिंह का परिवार पर टूट गया था। विभाजन के बाद अजीज आजाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर चले गए जबकि उसका परिवार तथा अन्य मैंबर भारतीय पंजाब में ही रहे। अजीज आजाद ने कहा कि उसने अपने परिवार से अलग होकर कई वर्ष गहरे दुख के व्यतीत किए। उसने अपने परिवार से संबंध बनाने की काफी कोशिश की परंतु किसी तरह का कोई सुराग नहीं मिला। 

पारिवारिक मैंबरों ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर एक पोस्ट मिली जिसमें विभाजन दौरान एक व्यक्ति तथा उसकी बहन के बिछड़ने का विवरण दिया गया था। दोनों परिवार इस पोस्ट द्वारा एक-दूसरे से जुड़े तथा पता चला कि महिन्द्र कौर तथा अजीज आजाद असल में दोनों बहन-भाई हैं। खुशी-खुशी दोनों कई बार एक-दूसरे के गले मिले तथा दोनों एक-दूसरे का हाथ चूमते दिखाई दिए। अजीज आजाद ने बताया कि वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बसा होने के कारण उसने इस्लाम ग्रहण कर लिया तथा सारा परिवार अब मुस्लिम है। इस मौके पर करतारपुर प्रशासन ने दोनों परिवारों को हार पहनाए तथा मिठाई भेंट की। दोनों परिवारों ने इकट्ठे बैठकर खाना खाया तथा दरबार साहिब करतारपुर के दर्शन किए। दोनों परिवारों ने एक-दूसरे को तोहफे भी दिए।

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