Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Dec, 2022 08:43 AM
बात उन दिनों की है जब सिकन्दर महान विश्व विजय करने के लिए सेना लेकर निकला था। कई देशों को जीतते हुए वह एक छोटे से देश में पहुंचा और उसे भी जीत लेने के लिए युद्ध प्रारंभ कर दिया।
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Sikandar story: बात उन दिनों की है जब सिकन्दर महान विश्व विजय करने के लिए सेना लेकर निकला था। कई देशों को जीतते हुए वह एक छोटे से देश में पहुंचा और उसे भी जीत लेने के लिए युद्ध प्रारंभ कर दिया। मगर वहां का राजा बड़ा ही समझदार था। उसकी कुशाग्र बुद्धि के चर्चे दूर-दूर तक थे। सिकन्दर की ताकत देखकर उसने सोच-समझकर अपनी रणनीति बनाई।
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उसने अपनी सम्पूर्ण सेना मोर्चे पर खड़ी कर दी और युद्ध का नगाड़ा बजते ही युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी। युद्ध समाप्ति की घोषणा होते ही सिकन्दर के सैनिकों ने राजा को कैद कर लिया। उसे सिकन्दर के सामने पेश किया गया।
सिकन्दर बोला-अब तुम हमारे गुलाम हो और हम तुम्हारे शासक। मगर तुमने बिना लड़े ही हार क्यों मान ली ?
राजा ने जवाब दिया- बादशाह, आपकी सेना के सामने हमारी सेना कुछ भी नहीं। इस युद्ध में हमारी हार निश्चित थी, तो फिर बेगुनाहों का खून बहाकर क्या लाभ होता ?
राजा के जवाब से प्रभावित होकर सिकन्दर ने उसकी बेड़िया खुलवा दीं। तभी वहां उन्हें कोलाहल सुनाई दिया। राजा ने सिकन्दर से पूछा, यह बाहर क्या हो रहा है ? सिकन्दर बोला, हमारे सैनिक आपके शहर में तबाही मचा रहे हैं और लोगों को लूट रहे हैं। राजा फिर बुद्धिमानी दिखाते हुए बोला- बादशाह, अब यह मेरा नहीं, बल्कि आपका ही शहर है। आप अपने ही शहर और अपनी ही प्रजा को लूट रहे हैं।
सिकन्दर एक बार फिर राजा की बुद्धि का कायल हो गया। उसने तुरन्त कत्लेआम और लूटपाट को रुकवाने का आदेश दिया और कहा कि यहां के लोग सचमुख सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें इनके जैसा राजा मिला है। उस देश की बागडोर वहां के राजा को पुन: सौंप कर सिकन्दर वापस लौट गया।