Sir Jagadish Chandra Bose: पढ़े, अपने स्वाभिमान से समझौता न करने वाले सर जगदीश चंद्र बोस की कथा

Edited By Sarita Thapa,Updated: 22 Feb, 2025 01:20 PM

sir jagadish chandra bose

Sir Jagadish Chandra Bose: महान वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने यह सिद्ध करके संसार को अचंभे में डाल दिया कि पेड़-पौधों में भी संवेदना होती है। वे भी मनुष्य तथा अन्य जीवधारियों की तरह सुख-दुख, सर्दी-गर्मी, प्रकाश तथा शोर का अनुभव करते हैं।

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Sir Jagadish Chandra Bose story: महान वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस ने यह सिद्ध करके संसार को अचंभे में डाल दिया कि पेड़-पौधों में भी संवेदना होती है। वे भी मनुष्य तथा अन्य जीवधारियों की तरह सुख-दुख, सर्दी-गर्मी, प्रकाश तथा शोर का अनुभव करते हैं। बोस के लिए उनका स्वाभिमान सबसे महत्वपूर्ण था। वह इस मामले में कोई समझौता नहीं करते थे।

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वह किसी भी स्थिति में अपने स्वाभिमान को ठेस नहीं लगने देते थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी का अध्ययन करने के बाद वह कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। वहां से बैचलर की डिग्री लेने के बाद भारत लौटे। यहां भौतिकी के अध्यापक के रूप में उनकी नियुक्ति हो गई। उस समय अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेज भारतीयों को हेय दृष्टि से देखते थे। किसी भी भारतीय अध्यापक को यूरोपीय अध्यापक से कम वेतन दिया जाता था। 

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यूरोपीय प्रोफैसर को जितना वेतन दिया जा रहा था उसका आधा बोस के लिए तय किया गया। इससे वह नाराज हो गए। उनका साफ कहना था,  “मैं वेतन लूंगा तो पूरा लूंगा,नहीं तो लूंगा ही नहीं।” और सचमुच उन्होंने तीन साल तक वेतन नहीं लिया। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कलकत्ता का अपना महंगा मकान छोड़कर शहर से दूर एक सस्ता मकान लेना पड़ा। काम पर कलकत्ता आने के लिए वह पत्नी के साथ नाव से हुगली नदी पार करते। इन सब कठिनाइयों के बावजूद वह अपने निश्चय से डिगे नहीं। अंतत: अंग्रेजों को हार माननी ही पड़ी। बोस को भी अंग्रेजों के बराबर वेतन मिलने लगा।

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