Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 May, 2024 06:46 AM
प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि इसी दिन माता सीता का जन्म
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Sita Navami 2024: प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि इसी दिन माता सीता का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को सीता जयंती या जानकी नवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर माता सीता की उपासना करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। आज की इस आर्टिकल में जानेंगे कि इस साल सीता नवमी कब पड़ रही है और क्या है शुभ मुहूर्त।
हिंदू पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि का आरंभ 16 मई को सुबह 6 बजकर 22 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 17 मई को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा। उदया तिथि के चलते 16 मई, दिन गुरुवार को सीता नवमी मनाई जाएगी।
बता दें कि इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
तो वही इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
हिंदू धर्म में सीता नवमी का बहुत अधिक महत्व माना गया है। जैसा कि सभी जानते हैं कि माता सीता मां लक्ष्मी का स्वरूप हैं इसलिए इस विशेष दिन पर मां सीता की उपासना करने से माता लक्ष्मी स्वयं प्रसन्न हो जाती हैं और व्यक्ति को सभी प्रकार की खुशियों का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। माना यह भी जाता है कि सीता नवमी के दिन पूजा-पाठ करने से रोग, दोष और पारिवारिक कलह से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
Pooja Vidhi पूजा विधि
सबसे पहले इस दिन जल्दी प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। फिर स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं। व्रत करना चाहते हैं तो दीपक जलाने के बाद व्रत का संकल्प लें। सीता नवमी के दिन व्रत किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके बाद पूजा वाले स्थान पर देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं। मां सीता और भगवान राम का ध्यान करें। माता सीता को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इसके बाद देवी सीता को लाल और पीले पुष्प जरूर चढ़ाएं। इस दिन की पूजा में भगवान राम के साथ मां सीता की आरती अवश्य करें और पूजा में भोग शामिल करें। हालांकि भोग में इस बात का ध्यान रखना बेहद अनिवार्य है कि वह केवल सात्विक भोजन का ही लगाया जाता है। इसके अलावा यदि आप भोग में कोई मीठी वस्तु से शामिल करते हैं तो यह बेहद शुभ होता है।