Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Feb, 2021 11:18 PM
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मुम्बई और पुणे के बाद नागपुर महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। नागपुर संतरे के लिए प्रसिद्ध तो है ही, यह संतरा व्यापार का एक प्रमुख केंद्र भी है। यहां कई झीलें, मनोरंजन पार्क, मंदिर और घूमने लायक अन्य
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Sitabuldi Fort: मुम्बई और पुणे के बाद नागपुर महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। नागपुर संतरे के लिए प्रसिद्ध तो है ही, यह संतरा व्यापार का एक प्रमुख केंद्र भी है। यहां कई झीलें, मनोरंजन पार्क, मंदिर और घूमने लायक अन्य स्थल हैं। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक है सीताबर्डी किला, जो नागपुर की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। सीताबर्डी ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध से पहले इस किले का निर्माण किया गया था। सीताबर्डी किला साल में तीन बार जनता के लिए खुला रहता है। 1 मई (महाराष्ट्र दिवस), 15 अगस्त और 26 जनवरी।
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ब्रिटिश-मराठा युद्ध का प्रतीक रहा सीताबर्डी किला वर्तमान में भारतीय सेना के 118वीं पैदल सेना बटालियन (प्रादेशिक सेना) ग्रेनेडियर्स का घर है। इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह किला आकर्षण का केंद्र है, लेकिन सुरक्षा कारणों से यह आम जनता के लिए सिर्फ राष्ट्रीय पर्वों पर ही खोला जाता है।
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870 एकड़ में फैला सीताबर्डी किला अंग्रेज बनाम भोंसले के बीच युद्ध का प्रतीक है। नागपुर शासक मुधोल जी भोंसले द्वितीय यानी अप्पासाहेब भोंसले ने सीताबर्डी का किला बनवाया था। अप्पासाहेब ने ईस्ट इंडिया कम्पनी से लोहा लिया था। अप्पासाहेब और अंग्रेजों के बीच नवम्बर, 1817 में जंग हुई थी। बाद में अंग्रेजों ने सीताबर्डी परिसर स्थित दो महत्वपूर्ण पहाडिय़ों पर कब्जा जमा लिया था। किले का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है। अंग्रेजों के देश छोडऩे के बाद यह किला भारतीय थल सेना को सौंप दिया गया। कभी वीरान पहाडिय़ों वाला यह इलाका यदुवंशियों के कारण प्रकाश में आया। यहां छोटी और बड़ी ऐसी दो पहाडिय़ां थीं। इन पहाडिय़ों का नाम दो युदवंशी भाइयों शीतला प्रसाद और बद्री प्रसाद गवली के कारण सीताबर्डी पड़ा। सीताबर्डी का पूरा मैदान पेड़ों से रहित और पत्थरों से भरा है। इन दो पहाडिय़ों में जो छोटी टेकड़ी है, शहर का उपनगर वहां से करीब है। छोटी टेकड़ी पर भगवान गणेश का एक मंदिर है। किला बड़ी पहाड़ी पर स्थित है।
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1857 के गदर में हारने के बाद टीपू सुल्तान का पोता नवाब कादर अली और उसके 8 सहकारियों को सीताबर्डी किले में फांसी दे दी गई थी। महात्मा गांधी को 10 अप्रैल से 15 मई 1923 तक इस किले में बंदी बनाया गया था। वह कोठरी आज भी वैसी ही है। यह किला 26 जनवरी को जनता के लिए दोपहर 3 बजे तक खुला रहता है।
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प्रमुख आकर्षण
अंबाजी झील : नागपुर की यह खूबसूरत झील सबसे बड़ी झील है। इस झील का नाम आम के पेड़ से मिला है। यह झील 1870 में भोंसले शासन के तहत शहर को पानी की आपूर्ति करने के लिए बनाई थी। आप इस झील पर पैडल नौकायन और रो नौकायन का आनंद ले सकते हैं। झील के आसपास के क्षेत्र में बच्चों के लिए एक मनोरंजन पार्क भी है।
महाराज बाग और चिडिय़ाघर : इस जगह पर चिडिय़ाघर और वनस्पति उद्यान में वनस्पतियां व जीवों की दुर्लभ प्रजातियां हैं। स्थानीय लोग इस जगह को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी प्रयोग करते हैं।
दीक्षा भूमि/धम्म चक्र स्तूप : यह 5000 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने की क्षमतावाली एक शानदार वास्तुशिल्प संरचना है। धौलपुर सैंडस्टोन, ग्रेनाइट्स और संगमरमर से बना यह स्तूप 120 फुट ऊंचा है।
अन्य आकर्षण :
फुतला झील : 200 वर्षीय फुतला झील को तेलखंडी झील के रूप में भी जाना जाता है। इसका निर्माण राजा भोंसले ने किया था और वह 60 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई थी।
रमन विज्ञान केंद्र : मुम्बई के नेहरू विज्ञान केंद्र से संबंधित यह जनता के बीच दिमाग के वैज्ञानिक झुकाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकसित किया गया था। यह केंद्र 1992 में स्थापित किया गया था, जबकि तारामंडल 1997 में कार्य करने लगा था।
रामटेक फोर्ट टैंपल : पहाड़ी की चोटी पर एक किले के अंदर यह मंदिर स्थित है। एक धारणा के अनुसार भगवान राम ने श्रीलंका को जीतने से पहले इस मंदिर में आराम किया था।
ऐसे पहुंचें नागपुर : नागपुर होकर सीताबर्डी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह सड़क, रेलवे तथा वायु मार्ग से सभी प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है। नागपुर रेलवे स्टेशन देश का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। नागपुर शहर से 6 कि.मी. दूर सोनेगांव एयरपोर्ट है। मुम्बई के रास्ते से भी नागपुर पहुंचा जा सकता है।
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