Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Jun, 2024 08:56 AM
जिस तरह लोग मुर्दे को सहारे के लिए कंधा देना अच्छा समझते हैं, इसी तरह यदि लोग जिंदा लोगों को सहारा देने लग जाएं तो जिंदगी आसान हो जाए।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जिस तरह लोग मुर्दे को सहारे के लिए कंधा देना अच्छा समझते हैं, इसी तरह यदि लोग जिंदा लोगों को सहारा देने लग जाएं तो जिंदगी आसान हो जाए। ईश्वर ने हमें आंखें किसी की बुराई देखने के लिए नहीं दीं। बेहतर नजरिए से देखने के लिए मिली हैं। हमें हाथ गलत लोगों का साथ देने के लिए नहीं मिले, किसी कमजोर की मदद करने के लिए ईश्वर ने दिए हैं।
जिस दिन आप के सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जाएं तो समझ लेना कि आप एक कामयाब इंसान हैं।
यह दुनिया आप से कभी खुश नहीं होगी। कुछ वक्त निकाल कर बातें कर लिया करो अपनों से, कल अपने ही न रहे तो फिर वक्त का क्या करोगे जनाब।---अब्दुल कलाम
माता-पिता जैसा प्यार करने वाला सिवाय भगवान के दुनिया में और कोई नहीं। मोबाइल से थोड़ा समय निकाल कर अपने माता-पिता के पास भी बैठा करो। उनसे बातचीत किया करो, उनका दिल भी खुश होगा। —दर्शना भल्ला
असफलता जीवन की वह महत्वपूर्ण पाठशाला है, जहां से सफलता के रास्ते का पता चलता है। सब लड़ते-झगड़ते रहे मकान, जायदाद, दुकान के लिए, जो चलाक था, वह बिना लड़ाई-झगड़ा किए मां को ले गया। —जया किशोरी
राष्ट्र संत चंद्र प्रभ जी अपने प्रवचनों में कहा करते हैं कि पाखड़, राजस्थान से लोटा और गमछा लेकर बम्बई, बेंगलुरु, चेन्नई आए लोगों ने ईमानदारी से मेहनत की तो आज टॉप पर पहुंच कर सोने के लोटे के मालिक बन गए हैं। काम कोई भी छोटा नहीं होता।