Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Jul, 2024 09:16 AM
सत्संग में आकर व्यक्ति का मन पवित्र होता है। विकार खत्म होते हैं। मन में शांति का संचार होता है। विचार बदलते हैं। व्यक्ति के भाव शुद्ध होने चाहिएं, कल्याण अवश्य
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सत्संग में आकर व्यक्ति का मन पवित्र होता है। विकार खत्म होते हैं। मन में शांति का संचार होता है। विचार बदलते हैं। व्यक्ति के भाव शुद्ध होने चाहिएं, कल्याण अवश्य होगा। मन का अहंकार मिट जाता है। दीन दुखियों की सेवा कर उनसे दुआएं लें। —संत सुभाष शास्त्री
हम सुखी राम से दुखी राम क्यों बन गए हैं? हमने खाना ज्यादा खाना शुरू कर दिया है। जबसे आपने चलना-फिरना छोड़ दिया, आपने डाक्टरों का काम बढ़ा दिया है। एक्सरसाइज करना छोड़ दिया। खाने की मात्रा कम करो, आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। खुश रहना सीखो। —राष्ट्र संत चंद्रप्रभ
शरीर की अहमियत समझोगे तो आपका जीवन खूबसूरत बन जाएगा। बारिश हो रही है तो आपको ही छाता लेकर जाना पड़ेगा। बुरे विचार भी आपको आएंगे ही। आपके मजबूत विचार ही आपके छाता का काम करेंगे। बुरे विचारों पर नियंत्रण 90 प्रतिशत आपके ही हाथों में होता है। —ज्ञान वत्सल स्वामी