Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Oct, 2024 09:19 AM
सत्य को न देख पाने के कारण यह संसार जला है, इस समय जल रहा है और आगे भी जलेगा। वह सत्य नहीं है जिसमें हिंसा भरी हो। दया युक्त तो असत्य भी सत्य है। जिसमें मनुष्यों का हित हो, वही सत्य है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Smile please: सत्य को न देख पाने के कारण यह संसार जला है, इस समय जल रहा है और आगे भी जलेगा। वह सत्य नहीं है जिसमें हिंसा भरी हो। दया युक्त तो असत्य भी सत्य है। जिसमें मनुष्यों का हित हो, वही सत्य है। —श्रीमद् भागवत
इन आंखों और कानों से आप अपना लोक व परलोक संवार सकते हो। मन को ठीक कर लो फिर अपने मनमोहन को पा लोगे। भक्त ने बांके बिहारी के मंदिर में सूरदास से कहा, ‘‘तुम्हारी तो आंखें नहीं हैं। तुम यहां क्यों आए हो।’’ सूरदास ने कहा, ‘‘मेरी आंखें नहीं हैं, मेरे बांके बिहारी की तो आंखें हैं, वह तो मुझे देख लेगा।’’—रमेश भाई शुक्ला
आप अपने ऊपर कंट्रोल कर ऐसे कार्य कर सकते हो जिससे आपको भी लाभ होगा और दूसरों को भी। मन को शुभ कार्य में लगाओ। संकल्प करो- हम दूसरों की सेवा करेंगे। संकल्प शक्ति से आप अपने आपको बदल सकते हो। —बी.के. शिवानी
कुछ लोग भोजन भंडारा खा कर खुश होते हैं, कुछ लोग खिला कर खुश होते हैं। खाने वाले कमजोर रहते हैं और खिलाने वाले धनवान बन जाते हैं क्योंकि भगवान किसी का कर्ज अपने सिर पर नहीं रहने देते। भगवान मदद करने वालों की झोलियां भर देते हैं। —संत चंद्रप्रभ
ऌपतझड़ हुए बिना पेड़ों में फल नहीं लगते। —वेदव्यास
ऌसनकी उस आदमी को कहते हैं जो प्रत्येक वस्तु का मूल्य तो जानता है लेकिन उसका महत्व नहीं।
—हितोपदेश
जैसे सोफे पर बैठते ही थकावट दूर हो जाती है वैसे ही खुशी के दो मीठे बोल बोलने से चिंता मिट जाती है। मुस्कुराहट के बिना घर सूना-सूना श्मशान की तरह लगता है। जेब गर्म हो, आंखों में शर्म हो, जीभ नरम हो, दिल में रहम हो तो प्रसन्नता होती है। हंसते बच्चे को ही हर कोई प्यार करता है। —अचल मुनि
नसीहत-जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है वहीं सबसे अधिक लापरवाही से सुनी जाती है। —हितोपदेश
निर्धनता नहीं, निर्धनता से शर्मिंदा होना शर्म की बात है। —शरतचंद्र
धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें तो यह कोई महंगा सौदा नहीं है।
शरीर ठीक रहते हुए ही इसका सदुपयोग कर लेना चाहिए।
—आचार्य चाणक्य