Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Nov, 2020 06:48 AM
सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी का आज प्रकाश उत्सव है। जब गुरु जी ने देखा कि दुनिया में बहुत अंधकार फैला हुआ है तथा सत्य का कहीं नामो-निशान न रहा तो गुरु जी धर्म के प्रचार हेतु तथा
Guru nanak dev jis birth anniversary: सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी का आज प्रकाश उत्सव है। जब गुरु जी ने देखा कि दुनिया में बहुत अंधकार फैला हुआ है तथा सत्य का कहीं नामो-निशान न रहा तो गुरु जी धर्म के प्रचार हेतु तथा लोगों को परमात्मा के साथ जोड़ने के लिए घर से चल पड़े। गुरु जी ने चारों दिशाओं में चार लंबी यात्राएं कीं जिन्हें ‘चार उदासियां’ कहा जाता है। इन चार यात्राओं में गुरु जी ने देश-विदेश का भ्रमण किया तथा लोगों को सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। कौडा राक्षस तथा सज्जन जैसे ठग गुरु जी की प्रेरणा से सत्यवादी बने। गुरु जी ने पहाड़ों में बैठे योगियों तथा सिद्धों के साथ भी वार्ताएं कीं तथा उन्हें दुनिया में जाकर लोगों को परमात्मा के साथ जोड़ने की प्रेरणा देने के लिए उत्साहित किया।
Gurpurab: गुरु नानक देव जी ने अपने प्रिय शिष्य मरदाना के साथ लगभग 28 सालों में दो उपमहाद्वीपों में पांच प्रधान पैदल यात्राएं की थी। जिन्हें उदासी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने तकरीबन 60 शहरों का भ्रमण किया। चौथी और अंतिम उदासी में गुरु जी ने अपने शिष्यों को साथ लिया, हाजी का भेष धारण किया और मक्का यात्रा के लिए रवाना हो गए। इससे पहले उन्होंने बहुत सारे हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के तीर्थस्थलों पर भी दर्शन किए थे।
How could Guru Nanak visit Mecca: गुरु नानक देव जी की मक्का यात्रा का वृतांत बहुत सारे धार्मिक ग्रथों और ऐतिहासिक पुस्तकों में भी पाया जाता है। गुरु नानक देव जी के दो प्रिय शिष्य थे। जिनमें एक हिंदू थे जिनका नाम बाला था और दूसरे मरदाना थे जो मुस्लिम धर्म से संबंध रखते थे। एक दिन मरदाना ने गुरु जी के आगे मक्का जाने की इच्छा व्यक्त करी। उन्होंने कहा, "जो मुसलमान मक्का नहीं जाता, वह सच्चा मुसलमान नहीं कहलाता।"
Guru Nanak in Mecca: गुरु जी उन्हें साथ लेकर मक्का यात्रा के लिए निकल पड़े। मक्का तक पहुंचते-पंहुचते वह बहुत थक गए थे। हाजियों के लिए वहां आरामगाह बना हुआ था। वह मक्का की ओर अपने पैर करके लेट गए। जियोन नाम का शख्स, जो हाजियों की सेवा में लगा था। जब उसने गुरू जी को मक्का की तरफ पैर करके लेटा देखा तो गुस्से से आग बबुला हो गया। गुरु जी से बोला," मक्का मदीना की तरफ पैर करके क्यों लेटे हो?"
Who met Guru Nanak in Hajj: गुरु नानक जी ने कहा, "वह बहुत थक गए हैं इसलिए थोड़ा आराम करना चाहते हैं। यदि तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो उनके पैर उधर कर दे, जिधर खुदा न हो।"
Sikh Religion: जियोन उनके पैर जिस भी दिशा में करता, मक्का उसी दिशा में दिखाई देने लगता। गुरू जी ने जियोन को समझाया हर दिशा में खुदा विद्यमान है। सच्चा सादक वही है जो अच्छे काम करता हुआ, खुदा को हमेशा याद रखता है।
What is Guru Nanak Dev taught: भाई गुरदास जी के अनुसार गुरु नानक देव जी अपनी यात्राएं (उदासियां) पूरी करने के बाद करतारपुर साहिब आ गए। उन्होंने उदासियों का भेस उतार कर संसारी वस्त्र धारण कर लिया। सत्संग प्रतिदिन होने लगा। भाई गुरदास जी के शब्दों में:-
‘‘ज्ञान गोष्ठ चर्चा सदा अनहद शब्द उठै धुनिकारा॥ सोदर आरती गावीअै अमृत वेलै जाप उचारा॥’’
Sri Guru Nanak Sahib Ji : गुरु जी स्वयं खेतीबाड़ी का काम करने लगे तथा दूर-दूर से लोग गुरु जी के पास धर्म कल्याण के लिए आने लगे। यहां पर भाई लहणा जी गुरु जी के दर्शनों के लिए आए तथा सदैव के लिए गुरु जी के ही होकर रह गए। गुरु जी ने उनकी कई कठिन परीक्षाएं लीं तथा हर तरह से योग्य मानकर उन्हें गुरु गद्दी दे दी तथा उनका नाम गुरु अंगद देव जी रखा। 1539 ई. में आप करतारपुर साहिब में ज्योति जोत समा गए।