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Somvati amavasya 2024: साल की आखिरी सोमवती अमावस्या पर करें ये उपाय, मिलेगा पूरा फल

Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Dec, 2024 07:18 AM

दू धर्म में अमावस्या का काफी महत्व माना जाता है। हर साल में कुल 12 अमावस्या मनाई जाती हैं लेकिन सोमवती अमावस्या का अपना महत्व है। जैसे कि सब जानते हैं

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Somvati amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या का काफी महत्व माना जाता है। हर साल में कुल 12 अमावस्या मनाई जाती हैं लेकिन सोमवती अमावस्या का अपना महत्व है। जैसे कि सब जानते हैं साल 2024 का भी आखिरी ही सप्ताह चल रहा है ऐसे में सोमवती अमावस्या साल 2024 की आखिरी अमावस्या होगी। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ, स्नान और दान आदि का विशेष महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार पौष माह की यानि साल की आखिरी अमावस्या 30 दिसंबर दिन सोमवार को पड़ रही है। ये अमावस्या सोमवार के दिन पड़ने के कारण इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार सभी अमावस्या में सोमवती अमावस्या का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान के साथ पितृ पूजन भी किया जाता है, ये दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खास माना जाता है। आज इस आर्टिकल में जानेंगे साल 2024 में सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त, शुभ योग और पूजन विधि। 

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Somvati Amavasya date and auspicious time सोमवती अमावस्या तिथि और मुहूर्त 
पंचांग के अनुसार, पौष माह की सोमवती अमावस्या की तिथि 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस दिन स्नान-दान का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। 

 साल की आखिरी अमावस्या यानी सोमवती अमावस्या बहुत ही खास मानी जा रही है क्योंकि सोमवती अमावस्या पर इस बार वृद्धि योग, ध्रुव योग, शिववास योग, नक्षत्र योग इन सभी योगों का संयोग बनने जा रहा है। इन योग में किए गए पूजा-पाठ का दौगुना फल मिलता है। इसके अलावा पितरों का विधि-विधान के साथ श्राद्ध और तर्पण करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है। 

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Somvati Amavasya Worship Method सोमवती अमावस्या पूजन विधि

इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।  सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं विशेष रूप से पीपल वृक्ष की पूजा करती हैं। यह एक शुभ और धार्मिक परंपरा मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की मंगल कामना करते हुए पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं और उसके चारों ओर फेरी लगाती हैं। पीपल के वृक्ष को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।  इसे भगवान विष्णु का प्रतीक भी माना जाता है। महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष के चारों ओर 108 बार फेरी लगाकर उसकी पूजा करें और कच्चे सूत का धागा वृक्ष के चारों ओर लपेटें । इस प्रक्रिया को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान फल, फूल और मिठाई का भोग अर्पित करना न भूलें। 

पूजा के बाद सोमवती अमावस्या व्रत कथा ज़रूर सुनें। इस दिन भगवान शिव,पार्वती और विष्णु की भी पूजा की जाती है। अंत में आरती करने और भोग लगाने के बाद क्षमा प्रार्थना करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। सोमवती अमावस्या का पर्व महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 

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