Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jul, 2023 10:47 AM
देवों के देव महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत ही आसान है। उनको खुश करने के लिए सिर्फ एक लौटा जल ही बहुत होता है।
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Shiv Ji Mantra Jaap: देवों के देव महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत ही आसान है। उनको खुश करने के लिए सिर्फ एक लौटा जल ही बहुत होता है। सोमवार का दिन महादेव की पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन है। अगर आप रोज मंदिर नहीं जा पाते तो सिर्फ सोमवार के दिन शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं। एक लौटा जल और बेलपत्र के साथ अगर शिव जी के इन मंत्रों का जाप कर लिया जाए तो जीवन से सब दुखों का अंत हो जाता है। यहां तक की आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। तो आइए जानते हैं, कौन से हैं वो चमत्कारी मंत्र-
Lord Shiva Mantra
Mahamrityunjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महाकाल का ये मंत्र बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है। इसका जाप करने से अकाल मृत्यु का भय भाग जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में अकाल मृत्य योग हो, उसे महामृत्युंजय जाप करना चाहिए।
Short Mahamrityunjaya Mantra लघु महामृत्युंजय मंत्र- ॐ हौं जूं सः
जिन लोगों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना मुश्किल लगता हो, उन्हें इस मंत्र का जाप करना चाहिए। भगवान शिव को दूध और जल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करने से सब रोग दूर चले जाते हैं।
Shiv Gayatri Mantra शिव गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
अगर किसी व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार वास करते हो तो उसे इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के हृदय में किसी के प्रति किसी भी प्रकार के दुर्विचार समाप्त हो जाते हैं और मन में शांति बनी रहती है।
Favorite mantras of Lord Shiva शिव जी के प्रिय मंत्र:
ॐ नमः शिवाय
नमो नीलकण्ठाय
ॐ पार्वतीपतये नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
Method of chanting mantra मंत्र जाप करने की विधि- वैसे तो भगवान का नाम लेने के लिए हर समय शुभ होता है। किसी भी समय उनके नाम का जाप किया जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार मंत्रों का जाप करने से पहले व्यक्ति को भली-भांति शुद्ध हो जाना चाहिए। दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर स्नानादि के बाद ही जाप करना चाहिए। जिस स्थान पर बैठकर जाप करना है, उसे अच्छे से साफ कर लेना चाहिए। स्वच्छ आसन पर बैठकर ही जाप करें। जाप पश्चात आसन को इधर-उधर न छोड़ें और न ही पैर से हटाएं। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख होना चाहिए।