Edited By Prachi Sharma,Updated: 12 Feb, 2025 12:32 PM
अहोबिल्म लक्ष्मी नरसिंह मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित एक पवित्र स्थान है, जो पूर्वी घाट शृंखला की शानदार पहाड़ियों से घिरा हुआ है। हिरण्यकश्यप राक्षस को
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Sri Ahobila Narasimha Swamy Temple: अहोबिल्म लक्ष्मी नरसिंह मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित एक पवित्र स्थान है, जो पूर्वी घाट शृंखला की शानदार पहाड़ियों से घिरा हुआ है। हिरण्यकश्यप राक्षस को मारने और अपने प्रिय भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान ने यहीं पर भगवान नरसिंह स्वामी के रूप में अवतार लिया था। यह मंदिर दक्षिण भारत के लोकप्रिय तीर्थस्थलों में से एक है।
ब्रह्मांड पुराण के अनुसार अहोबिल्म ही राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप का निवास स्थान था। इलाके की सुरम्य पहाड़ियों पर कई अन्य मंदिर भी स्थित हैं। सबसे खास बात है कि इस मंदिर में भगवान की 9 अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व: अहोबिलम मंदिर भगवान नरसिंह के महाकाव्य कथा से जुड़ा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार के रूप में प्रकट हुए थे, जब राक्षस हिरण्यकश्यप ने पृथ्वी पर आतंक मचाया था। हिरण्यकश्यप अपने अत्याचारों से भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को परेशान कर रहा था। भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया। यही कथा अहोबिलम मंदिर से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि भगवान नरसिंह यहीं पर हिरण्यकश्यप से युद्ध करने के बाद प्रकट हुए थे।
अहोबिलम मंदिर कुरनूल जिले के जंगलों के बीच स्थित है और यह दो मुख्य भागों में बांटा गया है - निचला अहोबिलम और ऊपरी अहोबिलम। निचला अहोबिलम वह स्थान है जहां भगवान नरसिंह का प्रमुख मंदिर स्थित है और यह स्थान एक गुफा के रूप में है। ऊपरी अहोबिलम में स्थित अन्य मंदिरों और गुफाओं में भगवान नरसिंह के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
निचला अहोबिलम मुख्य मंदिर भगवान नरसिंह के शेर-मनुष्य रूप को दर्शाता है और यहां पर उनकी मूर्ति एक विशाल और शक्तिशाली रूप में विराजमान है। इस मंदिर में पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, जो स्थान को और भी रहस्यमय और प्रेरणादायक बनाता है।