कहा हैं केशव देव मंदिर, क्या है इससे जुड़ा रहस्य ?

Edited By Jyoti,Updated: 30 Nov, 2022 02:16 PM

sri keshav dev ji temple mathura

हिंदू धर्म के कई प्राचीन ग्रंथों व धार्मिक शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस यानि अपने मामा के कंस के कारागार में हुआ था। जिसके चलते

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हिंदू धर्म के कई प्राचीन ग्रंथों व धार्मिक शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस यानि अपने मामा के कंस के कारागार में हुआ था। जिसके चलते मथुरा को भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है और बहुत ही पावन भूमि कहा गया है। बता दें मथुरा नगरी उत्तर प्रदेश जिले में यमुना नदी के तट पर बसे सुंदर शहरों में से एक है। आज हम आपको श्री कृष्ण जन्मभूमि पर मौजूद भगवान श्री कृष्ण के मंदिर से जुड़ी खास बातें-
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आज हम आपको बताने जा रहे हैं मथुरा में स्थित केशव देव मंदिर के बारे में। बताया जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वृजनाभ ने सर्वप्रथम उनकी स्मृति में केशव देव मंदिर की स्थापना की थी।जिसके बाद 80-57 ईसा में पूर्व ये मंदिर बनाया गया था। इस संदर्भ में महाक्षत्रप सौदास के समय के एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी वस्तु नामक व्यक्ति ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि काल के थपेड़ों ने इस मंदिर की स्थिति को खराब कर दिया था लगभग 400 वर्ष बाद गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने उसी स्थान पर इस भव्य मंदिर का निर्माण किया था पूर्व नाम जिसका वर्णन भारत यात्रा पर आए चीनी यात्रियों फाह्यान और ह्यूेसांग ने भी किया है।
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ईस्वी सन 1017-1018 में महमूद गजनबी ने मथुरा के समस्त मंदिर पुरवा दिए थे जिसके लौटते ही दोबारा से मंदिर बनवए गए थे। जिसे बाद में महाराजा विजयपाल जी के शासन में सन 1185 ई में जज्ज नाम किसी व्यक्ति ने बनवाया। बताया जाता है कि मंदिर पहले की अपेक्षा में और भी विशाल था जिसे सुरभि शताब्दी के आरंभ में सिकंदर लोदी ने पूरी तरह से नष्ट करवा डाला था।
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ओरछा की शासक राजा वीर सिंह जूदेव बुंदेलखंड स्थान पर एक भव्य और पहले की अपेक्षा में और भी विशाल मंदिर का निर्माण करवाया इसके संबंध में कहा जाता है कि यह इतना उच्च और विचार है कि आगरा सा दिखाई देता है। इसके उपरांत मुस्लिम शासकों ने सन 1669 असली में इस मंदिर को नष्ट कर इसकी भवन सामग्री से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक भव्य ईदगाह बनवा दी जो आज भी यहां विद्यमान है। इसके पीछे ही महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रेरणा से पुणे एक मंदिर स्थापित किया गया कहते हैं कि वर्तमान समय में जन्म भूमि के आधे हिस्से पर ईद का है और आधे पर मंदिर।
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