Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Aug, 2024 04:17 AM
कृष्ण जन्मोत्सव का बेसब्री से इंतजार करने वालों का इंतज़ार बस खत्म होने वाला है क्योंकि सबके मन को मोहने वाला सांवरा सलोना अब आने वाला है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की
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Sri Krishna janamashtami shubh muhurat- कृष्ण जन्मोत्सव का बेसब्री से इंतजार करने वालों का इंतज़ार बस खत्म होने वाला है क्योंकि सबके मन को मोहने वाला सांवरा सलोना अब आने वाला है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और व्रत करने का विधान है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत काफी शुभ फलदायी होता है। इससे 100 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही व्रती को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और वह उत्तम योनि में जन्म लेता है। ज्योतिष के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर वहीं संयोग बन रहा है, जो कृष्ण जन्म पर बना था। साल 2024 में जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा का उत्तम मुहूर्त, शुभ संयोग और पूजन विधि तो आईए जानते हैं...
कृष्ण जन्मोत्सव शुभ मुहूर्त
चांग के अनुसार, साल 2024 में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को प्रात:काल 03 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 27 अगस्त दिन मंगलवार को प्रात:काल 02 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
वैसे तो इस दिन भक्त किसी भी समय श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं लेकिन इस दिन पूजा के लिए तीन बेहद ही शुभ मुहूर्त हैं जिसमें सुबह की पूजा के लिए उत्तम समय है। सुबह 05 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 37 मिनट तक।
शाम के समय लाभ और अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त है 03 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक
निशीथ काल पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक जन्माष्टमी पूजन के लिए ये समय सबसे उत्तम मुहूर्त है।
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार की जन्माष्टमी का पर्व बेहद शुभ माना जा रहा है क्योंकि इस बार इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे जैसा की भगवान कृष्ण के जन्म के समय संयोग बना था। उस दिन भी चंद्रमा वृषभ राशि में ही थे। जिस रात में अष्टमी तिथि मध्यकाल में होती है, उसी दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा का वृषभ राशि में होना बेहद ही शुभ फलदायी रहेगा। साथ में अगर जन्माष्टमी पर सोमवार या बुधवार हो जाए तो यह बहुत ही दुर्लभ संयोग बनाता है। बुधवार और सोमवार को जन्माष्टमी होने पर जयंती योग का शुभ संयोग बनता है। जिसे जयंती योग भी कहते हैं। दरअसल, जिस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था। ठीक इससे छह दिन बाद यानी सोमवार को भगवान कृष्ण का नामकरण आदि कार्य किए गए थे। इसलिए जन्माष्टमी सोमवार या बुधवार में होना बेहद शुभ मानी जाती है।
तो चलिए आगे आपको बता दें श्री कृष्णजन्माष्टमी के दिन पूजा कैसे करें
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवताओं के ध्यान से करें।
इसके बाद स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें।
अब मंदिर की सफाई कर चौकी पर श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर विराजमान करें। विधिपूर्वक गंगाजल, पंचामृत समेत आदि चीजों से अभिषेक करें। गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
कान्हा का श्रृंगार करें और फूलमाला अर्पित करें।
देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें।
प्रभु को माखन-मिश्री और फल आदि चीजों का भोग लगाएं।
अंत में जीवन में सुख-शांति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।