Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Feb, 2025 12:39 PM
श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर जिसे कुर्मनाथ मंदिर या श्री कुरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कुर्म को समर्पित है।
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Sri Kurmanatha Swamy Mandir: श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर जिसे कुर्मनाथ मंदिर या श्री कुरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कुर्म को समर्पित है। यह भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के श्री काकुलम जिले के श्री कुरमम गांव में स्थित है। चालुक्य शैली में 11वीं शताब्दी में निर्मित इस द्रविड़ वास्तुकला मंदिर का विस्तार बाद की शताब्दियों में लगातार किया गया। यह मंदिर भगवान विष्णु को कुरमानाथ स्वामी और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी को कुर्मानायकी के रूप में समर्पित है। कुर्मनाथ मंदिर के गर्भगृह में कछुए की छवि और लक्ष्मी के साथ मानवरूपी विष्णु दोनों हैं।
कुर्मनाथ मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, जो लगभग 1,000 से 2,000 साल पहले का माना जाता है। इसे विशेष रूप से पल्लव और चोल शासकों के शासनकाल में विकसित किया गया था। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह भगवान विष्णु के कछुआ रूप का वास स्थान है, जो समुद्र मंथन के समय अमृत मंथन में भगवान विष्णु ने कछुए के रूप में अवतार लिया था। इसी कारण इस मंदिर को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कुरमनाथस्वामी मंदिर का उल्लेख प्राचीन पौराणिक कथाओं में भी मिलता है, जहां इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थान के रूप में देखा जाता है। इसके आसपास के क्षेत्र में कई अन्य प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं, जो इस क्षेत्र की धार्मिक महत्ता को बढ़ाते हैं कुरमनाथस्वामी मंदिर का धार्मिक महत्व विशेष रूप से भगवान विष्णु के कछुआ अवतार से जुड़ा हुआ है। कछुआ अवतार को विशेष रूप से समुद्र मंथन के संदर्भ में पूजा जाता है, जहाँ भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण कर, मंदर पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था, ताकि अमृत मंथन किया जा सके। इसी कारण इस मंदिर में भगवान विष्णु की कछुआ रूप में पूजा की जाती है।
मंदिर में भगवान विष्णु की कछुआ के रूप में मूर्ति स्थापित है, जो काफी सुंदर और अद्भुत है। यहां आने वाले भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर का तात्पर्य है कि यह धार्मिक स्थान न केवल पूजा का स्थल है बल्कि भगवान विष्णु के इस अवतार से जुड़ी कथाओं और उपदेशों का प्रचार भी करता है।
कुरमनाथस्वामी मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में बनी हुई है, जो प्राचीन समय के धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान विष्णु की कछुआ मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति का आकार काफी बड़ा और आकर्षक है। गर्भगृह के भीतर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं, जो भक्तों की श्रद्धा और पूजा के केंद्र हैं।
कुर्मनाथ स्वामी मंदिर का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह न केवल धार्मिक केंद्र है, बल्कि एक सांस्कृतिक स्थल भी है, जहाँ विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यहाँ के मेले और उत्सव स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस मंदिर में हर वर्ष होने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भक्तों और पर्यटकों की भारी भीड़ होती है, जो इसे एक प्रमुख सांस्कृतिक स्थल बनाता है।