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अयोध्या नगरी में बने हैं अनेक धार्मिक स्थल, जानें यहां

Edited By Lata,Updated: 09 Nov, 2019 01:43 PM

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हमारे भारत देश में ऐसे मंदिर स्थापित हैं, जोकि अपने आप में ही बहुत प्राचीन हैं। जिनकी अपनी एक अलग ही पहचान है

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हमारे भारत देश में ऐसे मंदिर स्थापित हैं, जोकि अपने आप में ही बहुत प्राचीन हैं। जिनकी अपनी एक अलग ही पहचान है और इसके साथ ही लोगों की आस्था भी हर एक मंदिर के साथ जुड़ी हुई है। आज हम बात करेंगे के अयोध्या में बनने जा रहे भगवान राम के मंदिर के बारे में। पुराणों के अनुसार अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी है। महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अयोध्या को सरयू नदी के तट पर बसी पवित्र नगरी बताया है। अयोध्या देश के सभी पवित्र शहरों में से एक है। अथर्ववेद में अयोध्या शहर को देवताओं का स्वर्ग माना जाता है।

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धार्मिक दृष्टि से एक कथा प्रचलित है कि अयोध्या के महाराज विक्रमादित्य भम्रण करते हुए संयोगवश सरयू नदी के किनारे पहुंचे थे तब महाराज विक्रमादित्य को अयोध्या की भूमि में कुछ चमत्कार दिखाई पड़ा और आस-पास के योगी संतो ने उनको बताया कि कि यह श्री अवध भूमि है तभी महाराज ने यहां मंदिर, सरोवर, कूप इत्यादि बनवाए। कहा जाता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम जी के साथ अयोध्या के कीट पतंगे तक उनके दिव्य धाम में चले आए थे जिस वजह से अयोध्या नगरी त्रेता युग में ही उजड़ गई थी तब श्रीराम पुत्र कुश ने ही श्री राम का नाम लेकर अयोध्या नगरी को बसाया था। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या नगरी में बने सीता कुंड में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है और जो व्यक्ति अयोध्या में स्नान, जप, तप, हवन, दान, दर्शन, ध्यान आदि करता है वह सब पुण्यों का भागीदार हो जाता है। 
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प्रमुख स्थान:
अयोध्या नगरी को पवित्र नगरी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां धार्मिक रूप से कई ऐसे मंदिर है जो इस नगर की शोभा को बढ़ाए हुए हैं। हनुमानगढ़ी मंदिर में स्थित हनुमान जी अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

कनक भवन माता सीता और श्री राम के सोने के मुकुट वाली प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है।

राघव जी का मंदिर अयोध्या नगर में स्थित भगवान श्री राम जी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है जहां भक्तगण सरयू जी में स्नान करने के बाद  दर्शन के लिए आते हैं।
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विक्रमादित्य के काल के पहले से अयोध्या में नागेश्वर नाथ मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां शिवरात्रि का पर्व बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। 

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