Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Jan, 2025 11:34 AM
बेंगलुरु : 94 वर्षीय वीणा सम्राट श्री आर विश्वेश्वरन को ‘कला सारथी पुरस्कार 2025’ प्राप्त करने पर दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया; उस्ताद जाकिर हुसैन की श्रद्धांजलि में भारत की पहली पेशेवर तबला वादक अनुराधा पाल द्वारा प्रस्तुत तबला वादन का...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बेंगलुरु : 94 वर्षीय वीणा सम्राट श्री आर विश्वेश्वरन को ‘कला सारथी पुरस्कार 2025’ प्राप्त करने पर दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया; उस्ताद जाकिर हुसैन की श्रद्धांजलि में भारत की पहली पेशेवर तबला वादक अनुराधा पाल द्वारा प्रस्तुत तबला वादन का अद्भुत प्रदर्शन; दिल्ली दरबार की सूफी गायिका वुसत इकबाल खान का भावनात्मक सूफी गायन; प्रमुख मराठी अभिनेत्री अभिनेत्री प्राजक्ता माली द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला नृत्य प्रदर्शन; और कलाकारों और इस दिव्य सांस्कृतिक उत्सव के प्रणेता, वैश्विक मानवतावादी गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के साथ कलाकारों की दिल को छू लेने वाली बातचीत – इस प्रकार ‘भाव-दी एक्सप्रेशन्स समिट 2025’ का तीसरा संस्करण एक अद्वितीय तरीके से समापन की ओर बढ़ा, जहाँ दर्शकों ने कला, संगीत, नृत्य और भारत की विविध शास्त्रीय एवं लोक कला परम्पराओं का आनंद लिया ।
"यह एक कला है कि आप अच्छे रसिक बन सकें और आप किसी कला रूप की सराहना तब कर सकते हैं जब आप तनाव और चिंता से मुक्त होते हैं," गुरुदेव ने कलाकारों के साथ अपनी बातचीत में कहा, "जब हम किसी ध्वनि में पूरी तरह से डूब जाते हैं, तो मस्तिष्क शांत हो जाता है।"
चालीस वर्षों से अधिक समय से आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से, गुरुदेव के दृष्टिकोण ने दुनिया को यह बताया है कि "कला एक ऐसा मंच हो सकती है जो सभी नस्लों, जनसंख्याओं, आयु समूहों, रुचियों और दृष्टिकोणों के लोगों को एक साथ लाकर उत्सव मनाने का अवसर देती है," वर्ल्ड फोरम फॉर आर्ट एंड कल्चर की निदेशिका श्रीमती श्री विद्या वर्चस्वी ने दर्शकों से कहा।
भाव के मुख्य दर्शन "वसुधैव कुटुम्बकम" को दोहराते हुए वुसत इकबाल ने साझा किया कि गुरुदेव की शिक्षाएं उनके सूफी गुरु की शिक्षाओं से बहुत मिलती-जुलती थी, "पूरा संसार एक परिवार है, यही हम सूफी में मानते हैं कि प्रेम ही सबसे विश्वसनीय धर्म है।"
इस वर्ष की खास बात यह थी कि यह शिखर सम्मेलन कला और प्रदर्शन को आध्यात्मिकता के साथ खूबसूरती से जोड़ने में सफल रहा। प्रत्येक प्रदर्शन आत्मीय था, और सभी कलाकारों ने समय निकाला और ध्यान के माध्यम से अपनी आंतरिक यात्रा की, साथ ही आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर के शुद्ध और उच्च ऊर्जा के वातावरण में सुदर्शन क्रिया की प्रभावशाली श्वास तकनीक सीखी।
"भाव ने मुझे एक अलग दुनिया दिखाई," पद्मश्री मंजम्मा जोगठी ने साझा किया, "मैं ध्यान के बाद बहुत खुश थी। गुरु (गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर) ने कलाकारों, पूजा करने वालों और कला के संरक्षकों को एकजुट किया । यह समानता का मंच था। मुझे बहुत खुशी हुई कि एक शानदार आयोजन हुआ, जहां जाति और लिंग का कोई भेदभाव नहीं था। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी अन्य देश में हूं। मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती कि मैंने क्या अनुभव किया।"
इस वर्ष, हर समुदाय की कला और कलाकारों के लिए जगह बनाई गई, और शिखर सम्मेलन ने ट्रांसजेंडर समुदाय के योगदान को भी सम्मानित किया, जिन्होंने भारत के शाश्वत सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध किया है।
आर्ट ऑफ लिविंग ने, भारत का सबसे बड़ा लाइव परफॉर्मेंस ‘सीता चरितम’ प्रस्तुत किया, जिसमें 500 कलाकारों, 30 नृत्य, संगीत और कला रूपों को एकत्र किया गया है। यह प्रस्तुति 180 देशों में यात्रा करेगी और इसमें रामायण के 20 से अधिक संस्करणों से एक अद्वितीय पटकथा तैयार की गई है, जिसमें विभिन्न स्वदेशी भाषाओं के गीत भी शामिल होंगे।
उत्सव का भव्य उद्घाटन दीपोत्सव से शुरू हुआ, जिसमें श्लोकों के उच्चारण के बीच गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह; पद्मश्री ओमप्रकाश शर्मा, जिन्होंने माच थियेटर में क्रांति की, कथक की महान गुरु मनीषा साठे जैसी सम्मानित विभूतियाँ उपस्थित थीं। इस अवसर पर पद्मश्री उमा महेश्वरी, आंध्र प्रदेश की हरि कथा की महारथी भी उपस्थित थीं।
इस वर्ष के 600 कलाकारों, दिग्गजों और नवोदित प्रतिभाओं की विविधता का सम्मान करते हुए, भारत सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस सभा को "कलाकारों और कला के साधकों का कुंभ" कहा।