Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Feb, 2023 10:13 AM
![srimad bhagavad gita](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2023_2image_10_10_229238892srimadbhagavadgita-ll.jpg)
श्री कृष्ण कहते हैं, ‘‘सम्पूर्ण प्राणियों के लिए जो रात्रि के समान है, वह एक ज्ञानी के लिए दिन के समान है और जिस दिन के समय
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Srimad Bhagavad Gita: श्री कृष्ण कहते हैं, ‘‘सम्पूर्ण प्राणियों के लिए जो रात्रि के समान है, वह एक ज्ञानी के लिए दिन के समान है और जिस दिन के समय नाशवान जन सांसारिक सुख की प्राप्ति के लिए जागते हैं, परमात्मा के तत्व को जानने वाले ज्ञानी के लिए वही रात्रि के समान है।’’
यह श्लोक शारीरिक रूप से जाग्रत लेकिन आध्यात्मिक रूप से सोए हुए और इसके विपरीत होने के विचार को सामने लाता है।
जीने की दो सम्भावनाएं हैं। एक, जहां हम अपने सुखों के लिए इंद्रियों पर निर्भर हैं और दूसरा वह जहां हम इंद्रियों से स्वतंत्र हैं और वे हमारे नियंत्रण में रहती हैं।
![PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita](https://static.punjabkesari.in/multimedia/10_11_589770070srimad-bhagavad-gita-1.jpg)
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
पहली श्रेणी के लोगों के लिए, जीने का दूसरा तरीका एक अज्ञात दुनिया होगी और रात्रि इस अज्ञानता को ही दर्शाती है। दूसरे, जब हम एक इंद्रियों का उपयोग करते हैं, तो हमारा ध्यान कहीं और होता है जिसका अर्थ है कि यह स्वत: उपयोग किया जाता है, जागरूकता के साथ नहीं।
![PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita](https://static.punjabkesari.in/multimedia/10_12_102156067srimad-bhagavad-gita-2.jpg)
उदाहरण के लिए खाना खाते समय हमारा ध्यान अक्सर खाने पर नहीं होता- यह टी.वी., अखबार या फोन पर बातचीत में हो सकता है क्योंकि हम ‘मल्टी टास्किंग’ में विश्वास करते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि आध्यात्मिकता उतनी ही सरल है जितना कि हम खाते समय खाएं, प्रार्थना करते समय प्रार्थना करें।
श्री कृष्ण का यह कथन इंगित करता है कि दिन उस उस व्यक्ति के लिए है जो वर्तमान क्षण में रहता है, अन्यथा यह अंधकार जैसा ही है।
![PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita](https://static.punjabkesari.in/multimedia/10_12_293509024srimad-bhagavad-gita-3.jpg)
तीसरी व्याख्या शाब्दिक है। जब हम सोते हैं, तो हमारा एक हिस्सा अभी भी जागता है। जैसे सोई हुई मां का एक हिस्सा हमेशा उसके बगल में सो रहे बच्चे के लिए जागता है। इसका मतलब है कि हम सभी को समान रूप से इस क्षमता से नवाजा गया है कि हम अपने एक हिस्से को हर समय जगाए रखें।
श्री कृष्ण कहते हैं कि हमें अपने उस हिस्से को बढ़ाना चाहिए जो हमारे सभी कार्यों के प्रति जागरूक है, यहां तक कि व्यक्ति अपनी नींद को भी महसूस कर सके।
![PunjabKesari kundli](https://static.punjabkesari.in/multimedia/10_09_395611227image-4.jpg)