Srimad Bhagavad Gita: श्री कृष्ण से जानें, मन को नियंत्रित कैसे करें

Edited By Prachi Sharma,Updated: 27 Sep, 2024 10:41 AM

srimad bhagavad gita

अर्जुन मन की तुलना वायु से करता है और जानना चाहता है कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाए ताकि यह संतुलन बनाए रखे। श्रीकृष्ण कहते हैं कि निश्चित रूप से ऐसा करना कठिन है

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Srimad Bhagavad Gita: अर्जुन मन की तुलना वायु से करता है और जानना चाहता है कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाए ताकि यह संतुलन बनाए रखे। श्रीकृष्ण कहते हैं कि निश्चित रूप से ऐसा करना कठिन है लेकिन इसे ‘वैराग्य’ के अभ्यास से प्राप्त किया जा सकता है। इंद्रियों द्वारा जुटाई गई जानकारी सुरक्षित है या असुरक्षित यह तय करने के लिए दिमाग का विकास किया गया है। इसके लिए दिमाग स्मरण शक्ति का उपयोग करता है। इस क्षमता ने हमें क्रमिक विकास के दौरान जीवित रहने और समृद्ध होने में मदद की।

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दिमाग की उसी क्षमता का उपयोग आंतरिक निर्णय लेने के लिए भी किया जा सकता है, जिसे जागरूकता कहा जाता है। हम अपने दिमाग के फैसले लेने की क्षमता को सुधारने के लिए स्वयं के विचारों और भावनाओं का उपयोग भी कर सकते हैं। आज के आधुनिक युग में इसी तरह से ‘फीडबैक’ का उपयोग कम्प्यूटरों के काम करने की क्षमता को सुधारने के लिए भी किया जा रहा है।

भगवान श्रीकृष्ण इस आंतरिक शक्ति को अभ्यास से विकसित करने का संकेत दे रहे हैं क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से नहीं आती। यह दिमाग में नई ताकत भरने जैसा है।

‘वैराग्य’ को समझने के लिए इसके एकदम विपरीत वाली वृत्ति यानी ‘राग’ को समझना भी एक उपाय है।

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मोटे तौर पर ‘राग’ दुनिया में सौंदर्य, करियर और भौतिक सम्पत्ति जैसे आनंद की प्राप्ति के लिए एक दौड़ है। विरोधी वृत्तियों के सिद्धांत के अनुसार, हर ‘राग’ का अंत ‘वैराग्य’ में ही होता है लेकिन हमारा ध्यान हमेशा ‘राग’ पर होता है और हम ‘वैराग्य’ को अनदेखा कर देते हैं। ‘स्टोइसिज्म’ (विरक्ति) जैसे कुछ दर्शन मृत्यु के उपयोग की वकालत करते हैं जो ‘वैराग्य’ का शिखर है। इसे ‘मेमेंटो मोरी’ यानी ‘लगातार मौत का अनुभव करना’ कहा जाता है। इसके लिए कार्यस्थल या घर में किसी प्रमुख स्थान पर मृत्यु की याद दिलाने वाले कुछ स्मृति चिन्ह रखे जाते हैं ताकि निरंतर इन पर नजर पड़ती रहे। भारतीय दर्शन में इसे ‘श्मशान वैराग्य’ कहते हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं कि यदि तुम ‘वैराग्य’ का अभ्यास करते हो तो यह मन को स्थिर कर देगा। लॉकडाऊन ने हमें ‘वैराग्य’ के क्षणों की झलक दी। ‘वैराग्य’ का एक छोटा-सा भाग हमें शांति और आनंद प्रदान करने वाला संतुलित मन प्राप्त करने में मदद कर सकता है।  

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