Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Sep, 2024 12:06 PM
कश्मीर घाटी में बसे खूबसूरत शहर श्रीनगर में अनेक झीलें, मंदिर, मस्जिद और बगीचे हैं, इनमें से कुछ ये हैं
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Places to Visit in Srinagar: कश्मीर घाटी में बसे खूबसूरत शहर श्रीनगर में अनेक झीलें, मंदिर, मस्जिद और बगीचे हैं, इनमें से कुछ ये हैं :
डल झील: जम्मू-कश्मीर में पर्यटक आएं और डल झील न देखें, ऐसा संभव नहीं है। यह झील 17 कि.मी. क्षेत्र में फैली तथा तीन दिशाओं में पहाड़ियों से घिरी जम्मू-कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है।
हजरतबल मस्जिद: श्रीनगर की इस प्रसिद्ध मस्जिद को अनेक नामों तथा हजरतबल, अस्सार-ए-शरीफ, आदिनाम-उस-सेनी, दरगाह शरीफ आदि से भी जाना जाता है। इसके नजदीक ही इशरत महल एवं खूबसूरत बगीचा है जिसे 1623 ई. में सादिक खान ने बनवाया था।
शंकराचार्य मंदिर: श्रीनगर शहर में डल झील के पास शंकराचार्य पर्वत पर स्थित यह मंदिर समुद्र तल से 1100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। शंकराचार्य मंदिर को तख्त-ए-सुलेमान के नाम से भी जाना जाता है। यह कश्मीर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।
इसका निर्माण राजा गोपादात्य ने 371 ई. पूर्व में करवाया था। डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनवाई थीं। ऊंचाई पर होने से यहां से श्रीनगर शहर एवं डल झील का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।
खीर भवानी मंदिर : श्रीनगर से सोनमर्ग के रास्ते में स्थित यह मंदिर कश्मीर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। खीर भवानी मंदिर माता ‘रंगने देवी’ को समर्पित है तथा प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ अष्टमी (मई-जून में) के अवसर पर मंदिर में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है।
निशात बाग : श्रीनगर के मुगल बागों में यह सबसे बड़ा बाग है। इसे 1633 में नूरजहां के भाई आसिफ खान ने बनाया था तथा यह डल झील के किनारे स्थित है।
शालीमार बाग : इसे मुगल शासक जहांगीर ने अपनी मलिका नूरजहां के लिए सन् 1616 में बनवाया था। मखमली हरी-भरी क्यारियों, गलियारों एवं सुंदर दृश्यों के लिए रमणीय स्थान है। यहां चार मुख्य गलियारे हैं। मुगल काल में चौथे गलियारे का प्रयोग केवल शाही खानदान के लिए था तथा आमजन का प्रवेश वर्जित था।
यहां पहले डल झील के जल मार्ग से ही आया जा सकता था परंतु अब सड़क उपलब्ध है। शालीमार के बीचों-बीच शानदार चिकने पत्थरों से बनी एक नहर बहती है जिसकी शोभा देखने लायक है।
चश्मा-ए-शाही : श्रीनगर के मुगल बागों में यह सबसे छोटा बाग है जिसकी खोज रूपा भवानी ने की थी। यह नेहरू मेमोरियल पार्क के ऊपर स्थित है। यहां से झरने के रूप में बहने वाला सुपाच्य मिनरल वाटर प्रख्यात है।
हरि पर्वत किला : श्रीनगर की डल झील के पश्चिम में स्थित है जो वर्तमान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का मुख्यालय है। इस किले से पूरे श्रीनगर पर दृष्टि रखी जा सकती है। इसे अफगान गवर्नर मोहम्मद खान ने 18वीं सदी में बनवाया था। 1590 ई. में मुगल सम्राट अकबर ने इस किले के चारों ओर दीवारों का निर्माण करवाया।
एक पौराणिक कथा के अनुसार पूर्व में यहां एक बड़ी झील हुआ करती थी जिस पर भयानक राक्षस जालोभावा का कब्जा था तथा वह लोगों को सताता था। लोगों ने माता सती से मदद मांगी तो उन्होंने एक चिड़िया का रूप धारण कर राक्षस के सिर पर एक छोटा पत्थर फेंका जो धीरे-धीरे बढ़ता गया एवं राक्षस का सिर कुचला गया। यहां पर आमजन का प्रवेश वर्जित है।
परी महल : इसे परियों का धाम परी महल बाग एवं फेयरी पैलेस आदि के नाम से भी जाना जाता है। यह अपने प्राचीन स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। पहले यह बौद्ध मठ हुआ करता था जिसे बाद में शाहजहां के बड़े बेटे एवं औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह ने अपने सूफी शिक्षक मुल्ला शाह के लिए ज्योतिष विज्ञान के विद्यालय में बदल दिया था। यहां से प्राकृतिक नजारों का आनंद लिया जा सकता है।
नागिन झील : डल झील से 6 कि.मी.की दूरी पर स्थित इसका सबसे छोटा एवं सुंदर भाग एक रास्ते द्वारा इसे डल झील से अलग करता है। यह छोटी लेकिन भीड़भाड़ से दूर शांत झील है।
मानसबल झील : श्रीनगर से 30 कि.मी. दूरी पर सेलम घाटी पर स्थित इस झील का नाम प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर के नाम पर है। इस झील की लम्बाई 5 कि.मी. एवं चौड़ाई 1 कि.मी. है। यह कश्मीर की सबसे बड़ी एवं प्रसिद्ध मीठे पानी की झील है जो चारों ओर पहाड़ियों से घिरी है। यह गर्मियों में कमल के फूलों एवं सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। इसके उत्तरी एवं पूर्वी किनारे पर छोटे-छोटे झरने हैं। इस झील पर नूरजहां द्वारा निर्मित एक बहुत खूबसूरत मुगल बाग जोरवा/जोरगा भी है।
मार्तंड सूर्य मंदिर, अनंतनाग: यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। यहां पर सूर्य की प्रथम किरण के साथ ही पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है इसका निर्माण कर्कोटक वंश से संबंधित राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा 725-756 ई. के मध्य किया गया था। इसका प्रांगण 220&142 फुट का है। यह मंदिर 60 फुट लम्बा एवं 98 फुट चौड़ा है। इसके लगभग 80 प्रकोष्ठों के अवशेष वर्तमान में मौजूद हैं।
गुरुद्वारा छठी पातशाही : यह गुरुद्वारा भी यहां काफी विख्यात है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
कैसे जाएं : हवाई मार्ग से श्रीनगर हवाई अड्डे तक तथा रेल द्वारा जम्मू/ऊधमपुर तक पहुंच कर सड़क मार्ग से श्रीनगर पहुंचा जा सकता है। जम्मू से श्रीनगर 293 कि.मी. दूरी पर है।
यहां सामान्यत: अक्तूबर अंत से मार्च मध्य तक मौसम ठंडा रहता है तथा जून-अगस्त तक वर्षा होती रहती है। वैसे यहां लगभग हर मौसम में जाया जा सकता है।