Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Dec, 2024 07:01 AM
Story of Akbar and Tansen: तानसेन अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। वह अपने समय के मशहूर संगीतकार थे। ऐसा कहा जाता है कि जब तानसेन मेघ मल्हार गाते थे तो बारिश होने लगती थी। अकबर चाहते थे कि संगीत का सबसे बड़ा कलाकार उनके पास, उनके दरबार में...
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Story of Akbar and Tansen: तानसेन अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। वह अपने समय के मशहूर संगीतकार थे। ऐसा कहा जाता है कि जब तानसेन मेघ मल्हार गाते थे तो बारिश होने लगती थी। अकबर चाहते थे कि संगीत का सबसे बड़ा कलाकार उनके पास, उनके दरबार में होना चाहिए। हर पल अकबर के कानों में तानसेन का मधुर स्वर गूंजता रहता था। एक दिन बादशाह के मन में यह जानने की इच्छा जागी कि जब तानसेन इतना सुन्दर गाते हैं तो उनके गुरु स्वामी हरिदास कितना अच्छा गाते होंगे, क्यों न एक बार उनके गुरु जी का गायन भी सुना जाए।
अकबर ने तय किया कि वह स्वयं वृंदावन जाकर स्वामी हरिदास का गायन सुनेंगे। हरिदास जी ने भी अकबर को कृष्ण भक्ति के रस में सराबोर कई भजन सुनाए। हरिदास जी के गायन से अकबर बहुत अधिक प्रभावित हो गए। वापस दरबार में पहुंचने पर उन्होंने सबके सामने स्वामी हरिदास के गायन की खूब प्रशंसा की।
उसके बाद तानसेन से अकेले में कहा, ‘‘तानसेन आप तो अपने गुरु की तुलना में उनके आसपास भी नहीं ठहरते।’’
तानसेन ने हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘महाराज, गुरु हरिदास जी और मेरे बीच एक बहुत बड़ा-सा फर्क यह है कि मैं अपने राजा के लिए गाता हूं जबकि गुरु जी तो केवल ईश्वर के लिए गाते हैं। वह एक दरबारी संगीतकार से बहुत बड़े और आगे हैं।’’
तानसेन का जवाब सुनकर बादशाह अकबर मौन थे। वह अपने आप से कह रहे थे, जो ईश्वर के लिए गाता है उसकी आवाज में दैवीय मधुरता तो अपने आप ही आ जाती है।