Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Aug, 2023 09:35 AM
चेन्नई में एक सज्जन धोती-शाल ओढ़े समुद्र तट पर बैठे श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ कर रहे थे। उसी समय एक लड़का वहां आया तथा उनको देखकर बोला, ‘‘क्या आप
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चेन्नई में एक सज्जन धोती-शाल ओढ़े समुद्र तट पर बैठे श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ कर रहे थे। उसी समय एक लड़का वहां आया तथा उनको देखकर बोला, ‘‘क्या आप आज भी विज्ञान के इस युग में इतनी पुरानी किताब पढ़ते हैं ? देखिए ! हम चांद पर पहुंच गए हैं और आप इन्हीं में व्यस्त हैं।’’
वह सज्जन भगवद्गीता से ध्यान हटा कर उस लड़के की ओर देख कर बोले, ‘‘तुम भगवद्गीता के बारे में क्या जानते हो ?’’
लड़के ने प्रश्न का उत्तर नहीं दिया और उत्साह से बोला, ‘‘इतना सब पढ़कर क्या होगा, आप जानते हैं मैं विक्रम साराभाई रिसर्च इंस्टीट्यूट का छात्र और एक वैज्ञानिक हूं।’’
तभी दो बड़ी कारें वहां आकर रुकीं। एक कार से कुछ ब्लैक कमांडो उतरे और एक आदमी ने दूसरी कार का पिछला दरवाजा खोला, सलाम किया और झुक कर दरवाजे के पास खड़ा हो गया। जो सज्जन भगवद्गीता का पाठ कर रहे थे, धीमी गति से चल कर कार में बैठ गए। लड़के ने सोचा कि यह आदमी कोई प्रसिद्ध व्यक्ति लगता है।
वह उनके पास गया और पूछा, ‘‘सर, आप कौन हैं?’’
वह सज्जन बड़े शांत स्वर में बोले, ‘‘मैं विक्रम साराभाई हूं।’’ लड़के को जैसे बिजली का झटका लगा।
क्या आप जानते हैं कि यह लड़का कौन था ? वह थे डॉक्टर अब्दुल कलाम जो बाद में महान वैज्ञानिक बने तथा उन्होंने भारत के राष्ट्रपति का पद भी सुशोभित किया। अब्दुल कलाम पर इस घटना का इतना प्रभाव पड़ा कि उन्होंने भगवद्गीता पढ़ने के साथ-साथ रामायण, महाभारत और अन्य धार्मिक पुस्तकें भी पढ़ीं।