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मां दुर्गा के एक तिनके ने चूर-चूर किया देवताओं का अंहकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 09:20 AM

story of devi durga

एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवताओं ने राक्ष्सों पर विजय प्राप्त की। जिससे उनके मन में अहंकर उत्पन्न हो गया।

एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवताओं ने राक्ष्सों पर विजय प्राप्त की। जिससे उनके मन में अहंकर उत्पन्न हो गया। सभी देवता स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। जब मां दुर्गा ने देवताओं को इस प्रकार अहंकार से ग्रस्त होते देखा तो मां तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुई। मां दुर्गा का एेसा विराट तेजपुंज देखकर देवता घबरा गए।


सब देवों ने इंद्रदेव को तेजपुंज का रहस्य पता करने के लिए कहा, तब इंद्रदेव ने ये काम वायुदेव को सौंपा। अंहकार में चूर वायुदेव तेजपुंज के पास पहुंचे। जब मां के तेज ने उनसे उनका परिचय पूछा तो उन्होंने उपने आप को अति बलवान देव बताया। वायुदेव की बातें सुन मां के तेजपुंज ने उनके समक्ष एक तिनका रखा और कहा कि यदि तुम सचमुच इतने श्रेष्ठ योद्धा हो तो इस तिनके को उड़ाकर दिखाओ। वायुदेव ने अपनी समस्त शक्ति उस को उड़ाने में लगा दी लेकिन वह उसे हिला भी नहीं पाए। 


वापस लौटकर जब वायुदेव ने यह सारी बात इंद्रदेव को बताई तो इंद्र ने अग्नि देव को तिनके को जलाने के लिए भेजा लेकिन अग्नि देव भी असफल लौटे। अब इंद्र देव का अंहकार चूर-चूर हो गया, उन्होंने तेजपुंज की उपसना की। तब इस तेजपुंज से माता दुर्गा का स्वरूप प्रकट हुआ। उन्होंने सब देवताओं को अनुभूति कराई की राक्ष्सों पर विजय तुम ने मेरी ही कृपा से की है, अभिमान में अपना जीवन नष्ट मत करों। तब सभी देवताओं ने अपवी भूल की मां दुर्गा से क्षमा याचना की और मिलकर उनकी स्तुति की। 
 

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