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दानवीर कहलाने वाले कर्ण नहीं करते थे श्राद्ध, क्या इंद्रदेव से मिला था दंड ?

Edited By Jyoti,Updated: 11 Sep, 2022 11:21 AM

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​​​​​​​पितृ पक्ष का समय चल रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग पितृ पक्ष के 16 दिनों में अपने पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं। मान्यताएं

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पितृ पक्ष का समय चल रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग पितृ पक्ष के 16 दिनों में अपने पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं। मान्यताएं प्रचलित हैं कि इस समय किया गया दान-पुण्य का कार्य सबसे ज्यादा फलदाई होता है। इस कड़ी में हम पितृ पक्ष में किए जाने वाले उपायों से लेकर मंत्र तथा इन दिनों में किए जाने वाला दान आदि कार्य के बारे में भी जानकारी दे चुके हैं। अब इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं पितृ पक्ष से जुड़ी धार्मिक कथा जिसका संबंध महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक दानवीर कर्ण से है। जी हां, बहुत कम लोग हैं जो जानते हैं कि आखिर पितृ पक्ष की अवधि 16 दिन ही क्यों होती है? दरअसल धार्मिक शास्त्रों में इससे जुड़ी कथा बताई गई है। तो आइए जानते हैं ये धार्मिक कथा-

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पौराणिक कथा के अनुसार जब कर्ण परलोक सिधार गए तब स्वर्ग में पहुंचने के बाद उन्हें वहां केवल भोजन में ढेर सारा सोना और सोने से बने आभूषण ही दिए गए। उस समय कर्ण की आत्मा कुछ समझ नहीं पाई। तब कर्ण की आत्मा ने देवराज इंद्र से प्रश्न किया कि उन्हें खाने के लिए केवल सोना ही क्यों दिया जा रहा है?

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तब इंद्रदेव ने उन्हें जवाब दिया कि आपने अपने जीवन काल में केवल सोना ही दान किया है एवं कभी भी अपने पूर्वजों को कुछ भी खाने की वस्तु दान नहीं की जिसके फल स्वरूप आपको भी खाने के लिए केवल सोना ही दिया जाएगा। यह बात सुनकर कर्ण ने कहा आश्चर्यजनक कहा- मुझे अपने पितरों के बारे में कुछ भी नहीं पता इसलिए उन्हें कभी कुछ दान नहीं कर पाया।  

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तब कर्ण को अपनी गलती सुधारने के लिए एक मौका दिया गया। जिसके बाद उन्हें 16 दिन के लिए दोबारा पृथ्वी पर भेजा गया। तत्पश्चात कर्ण ने 16 दिवस तक अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हें भोजन अर्पित किया। कहा जाता है तब से ही 16 दिनों को पितृ पक्ष कहा जाता है।

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