Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Feb, 2023 08:05 AM
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ने लगाया था शनि देव के घावों पर सरसों का तेल इसलिए तेल चढ़ाने वालों पर होती है शनिदेव की कृपा।
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Story of Shani Dev and Lord Hanuman: शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी ने लगाया था शनि देव के घावों पर सरसों का तेल इसलिए तेल चढ़ाने वालों पर होती है शनिदेव की कृपा। शनिदेव के बारे में कहा जाता है कि वह हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करते। इसीलिए शनि की वक्र दृष्टि से बचने के लिए राम भक्त हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इस सम्बन्ध में प्रचलित कथा के अनुसार एक बार शनि देव को अपनी शक्ति पर अपार घमंड हो गया। उन्हें लगने लगा कि उनसे शक्तिशाली इस संसार में कोई नहीं है तथा उनकी वक्र दृष्टि मात्र से ही मानव के जीवन में उथल-पुथल शुरू हो जाती है।
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इसी मद में चूर शनिदेव एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम की साधना में लीन थे। उन्हें देख कर शनिदेव ने अपनी वक्र दृष्टि उन पर डाली परंतु साधना में लीन हनुमान जी पर कोई असर नहीं हुआ। इससे क्रोधित होकर शनिदेव ने उन्हें ललकारते हुए कहा, हे वानर देख कौन तेरे सामने आया है?
हनुमान जी ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया तथा साधना में लीन रहे। शनिदेव ने कई प्रयास किए मगर साधना में लीन हनुमान जी विचलित नहीं हुए। इससे शनि देव का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया। गुस्से में आकर शनिदेव ने एक बार फिर प्रयास किया और कहा हे वानर, आंखें खोल, मैं शनिदेव तुम्हारी सुख-शांति नष्ट करने आया हूं। इस संसार में कोई ऐसा प्राणी नहीं जो मेरा सामना कर सके।
शनिदेव को विश्वास था कि हनुमान जी भयभीत हो जाएंगे और उनसे क्षमा मांगेंगे परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। बहुत समय उपरांत हनुमान जी ने बहुत ही सहज भाव से उनसे पूछा महाराज आप कौन हैं ? यह सुन कर शनि देव का क्रोध और भी बढ़ गया और वह बोले मैं तुम्हारी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूं तब पता चलेगा मैं कौन हूं।
हनुमान जी ने कहा, आप कहीं और जाएं, मेरे प्रभु सिमरन में बाधा न डालें।
शनिदेव को यह बात पसंद नहीं आई और वह ध्यान लगाने जा रहे हनुमान जी की भुजा पकड़ कर उन्हें अपनी ओर खींचने लगे। हनुमान जी को लगा जैसे उनकी भुजा को किसी ने दहकते अंगारों पर रख दिया हो। उन्होंने एक झटके से अपनी भुजा छुड़ा ली और जब शनिदेव ने विकराल रूप धारण कर उनकी दूसरी भुजा पकड़ने की कोशिश की तब हनुमान जी को भी क्रोध आ गया।
उन्होंने शनि देव को अपनी पूंछ में लपेट लिया। शनिदेव का क्रोध तब भी कम नहीं हुआ। शनिदेव बोले तुम तो क्या तुम्हारे प्रभु राम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इस पर हनुमान जी ने पूंछ में लिपटे शनिदेव को पहाड़ों एवं वृक्षों पर जोर-जोर से पटक कर रगड़ना शुरू कर दिया तो शनिदेव की हालत खराब हो गई।
When Lord Hanuman saved Shani Dev: तब शनिदेव ने देवताओं से मदद मांगी मगर कोई देवता उनकी मदद को नहीं आया। तब शनिदेव को अपनी भूल का एहसास हुआ और बोले वानर राज, दया करें, मुझे अपनी उद्दंडता एवं अहंकार का फल मिल गया है, मुझे क्षमा करें। मैं भविष्य में आपकी छाया से दूर रहूंगा। तब हनुमान जी बोले, मेरी छाया ही नहीं, मेरे भक्तों की छाया से भी दूर रहना होगा। शनिदेव ने हनुमान जी को यह वचन दिया।
हनुमान जी द्वारा शनिदेव को पहाड़ों एवं वृक्षों से टकराने के बाद उन्हें काफी चोटें आ गई थीं जिससे शनिदेव परेशान थे तब हनुमान जी ने शनि देव के घावों पर सरसों का तेल लगाया जिससे उनकी पीड़ा समाप्त हो गई। तब शनिदेव ने कहा कि जो सच्चे मन से शनिवार के दिन मुझ पर तेल चढ़ाएगा या पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएगा उसे शनि संबंधित सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।