Edited By Jyoti,Updated: 15 Sep, 2020 03:28 PM
कोरोना बीमारी को तेज़ी से अपने देश में फैलता देख कुछ महीने पहले देश में प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन लगाया गया था। जिसके बाद लोगों का अपने घरों में बंद होना ज़रूरी गया है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कोरोना बीमारी को तेज़ी से अपने देश में फैलता देख कुछ महीने पहले देश में प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन लगाया गया था। जिसके बाद लोगों का अपने घरों में बंद होना ज़रूरी गया है। मगर बहुत से ऐसे लोग थे, जिनके लिए ऐसा करना आसान नहीं था। लोगों की इसी परेशान को कम करने के लिए तथा उनका ध्यान बंटाने के लिए टेलीविज़न पर ऐसे कई धार्मिक कार्यक्रम आरंभ किए गए जिससे लोग अपने घरों से बाहर न निकलने पर मज़बूर हो जाएं। हालांकि मौज़ूदा समय में लॉकडाउन की स्थिति अनलॉक में बदल चुकी है। परंतु लॉकडाउन के दौरान बढ़ी लोगों की धार्मिक रूची के मद्देनज़र इन कार्यक्रम को जारी रखा गया है। हाल ही की बात करें तो इस समय लगभग लोग श्री कृष्ण की भक्ति में डूबे दिखाई दे रहे हैं।
इसका कारण है टीवी पर दिखाया जा रहा रामानंद सागर द्वारा निर्मित श्री कृष्णा। जिसके लगभग 100 से ज्यादा एपिसोड प्रकाशित हो चुके है। अभी की बात करें उसें नकली श्री कृष्ण के बारे में बताया जा रहा है। जी हां, बहुत कम लोग जानते हैं नकली कृष्ण पौंड्रक नगरी का राजा था, जो अपने आप को भगवान वासुदेव कहता था। यहां तक कि उसने अपने आस-पास की हर चीज़ श्री कृष्ण के सामान सजा रखी थी। जिसमें उसकी नगरी तक शामिल हैं। तो चलिए जानते हैं शास्त्रों में इसके बारे में क्या वर्णन मिलता है।
कहा जाता है सनातन धर्म के भागवत पुराण में राजा पौंंड्रक का अच्छे से वर्णन किया गया। इसमें किए उल्लेख के अनुसार राजा पौंंड्रक पुंड्र देश का राजा माना जाता है। जो भगवान श्री कृष्ण को नकली और खुद को असली कृष्ण बताता था। कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण उसे बहुत लंबे समय से उसकी गलतियों को क्षमा कर रह थे। मगर जब उसके द्वारा की जाने वाली गलतियां बढ़ने लगी तो श्री कृष्ण ने अपनी लीलाएं दिखानी शुरू की।
कथाओं के अनुसार राजा पौंड्रक नकली सुदर्शन चक्र, शंख, तलवार, मोर मुकुट, कौस्तुभ मणि, पीले वस्त्र पहनकर खुद को कृष्ण कहता था। एक बार पौंड्रक ने भगवान श्री कृष्ण को संदेश भेजकर युद्ध के लिए ललकारा। इस संदेश में उसने कहलवाया कि पृथ्वी के लोगों का उद्धार करने के लिए उसने वासुदेव नाम से अवतार लिया है। भगवान वासुदेव का नाम एवं वेष धारण करने का अधिकार केवल मेरा है और इन चिह्रों पर तेरा कोई भी अधिकार नहीं है। तुम इन चिह्रों एवं नाम को तुरंत ही छोड़ दो, वरना युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।
बताया जाता है कि इस बार कृष्ण ने उसके इस दुस्साहस को नज़रअंदाज नहीं किया और पौंड्रक की युद्ध की चुनौती को स्वीकार कर लिया। कहा जाता है युद्ध के दौरान पौंड्रक ने ठीक वैसा ही रूप बना रखा था जैसा भगवान श्रीकृष्ण का था। युद्ध के दौरान उसने ने शंख, चक्र, गदा, धनुष, वनमाला, रेशमी पीतांबर, उत्तरीय वस्त्र, मूल्यवान आभूषण आदि धारण किया था। जिस देखने के बाद भगवान कृष्ण को अत्यंत हंसी आई, उन्होंने उसके साथ युद्ध किया और पौंड्रक का वध कर वापिस अपनी द्वारिका लौट गए।