Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Feb, 2023 10:23 AM
मैं परीक्षा हूं: अरे ! आश्चर्यचकित क्यों होते हो, हर बार यह शब्द तुम्हारे समक्ष रहता है, फिर भी मुझे हर बार की तरह
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Value of Examination: मैं परीक्षा हूं: अरे ! आश्चर्यचकित क्यों होते हो, हर बार यह शब्द तुम्हारे समक्ष रहता है, फिर भी मुझे हर बार की तरह वही भय दिखता है तुम्हारी आंखों में, इस शब्द को सुनने के पश्चात। जब भी कोई इसका नाम लेता है, तुम अपनी आंखों की पलकों को इतना विस्तृत कर देते हो जितना तो इसका कद भी नहीं है।
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हां ! यह बात जरूर है कि यह तुम्हें उस राह पर ले आती है जिस पर कठिनाइयां बहुत अधिक होती हैं लेकिन कठिनाइयां तो आनी चाहिएं, तभी परिश्रम करने का आनंद आता है। बिना कठिनाइयों व परेशानियों के चलते तुम एक कमरे में आलस्य से भरे दिखाई पड़ते हो, जो कि इसे मंजूर नहीं है। यह दुनिया के तमाम लोगों पर चढ़ा एक ऐसा खुमार है जो किसी भी व्यक्ति या यूं कहे तो रंक को राजा व राजा को रंक बना देता है। जीवन में आए हो तो परिश्रम तो करना ही होगा, चाहे धन की लालसा से या फिर मन की शांति के लिए।
श्रीमद्भागवद्गीता में भी कहा गया है- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अर्थ है कि कर्म करने में ही तेरा अधिकार है, उसके फल में कभी नहीं, इसलिए तू कर्मों के फल का कारण मत बन व तेरी कर्म न करने में आसक्ति न हो।
परीक्षाएं तो जीवन की वह सीख हैं जो तुम्हारे भविष्य को आगे निखार कर उसे उज्ज्वल दीपक की भांति चमकदार बनाएं। यह परीक्षा किसी भी रूप में हो सकती है, चाहे किसी छात्र की विद्यालयी व महाविद्यालयी स्तर कि हो या किसी युवक की जिंदगी की रचना की या किसी बुजुर्ग की, जो अपने अंत समय को, अपने बुरे समय को भी हंसते हुए टालता रहता है। परीक्षाएं कभी खत्म नहीं होतीं, जीवन में अगर परीक्षाएं न होतीं तो मनुष्य एक ऐसे युग में होता जो बहुत पिछड़ा होता।
आजकल तो जैसे परीक्षा मजाक बन गई है। कोई भी व्यक्ति कुटिलता व चापलूसी के चलते पर्यवेक्षक को मूर्ख बनाता रहता है, लेकिन वह यह भूल जाता है कि कागज के माध्यम से मूर्ख बनाया जा सकता है लेकिन जब जीवन की असल परीक्षा शुरू होती है तो कई तीस मार खां के जीवन की गाड़ी पलट जाती है। परीक्षा का सामना करने वाले व्यक्ति के लिए परीक्षा हमेशा सफलता का द्वार बनती है।