Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Nov, 2024 09:43 AM
Success mantra: एक छोटे से राज्य पर एक बड़े राजा ने आक्रमण कर दिया। उस राज्य के सेनापति ने राजा से कहा कि आक्रमणकारी सेना के पास बहुत संसाधन हैं जबकि हमारे पास सेनाएं और संसाधन कम हैं। हम निश्चित ही जल्दी ही हार जाएंगे अत: बेकार में अपने सैनिक...
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Success mantra: एक छोटे से राज्य पर एक बड़े राजा ने आक्रमण कर दिया। उस राज्य के सेनापति ने राजा से कहा कि आक्रमणकारी सेना के पास बहुत संसाधन हैं जबकि हमारे पास सेनाएं और संसाधन कम हैं। हम निश्चित ही जल्दी ही हार जाएंगे अत: बेकार में अपने सैनिक कटवाने का कोई मतलब नहीं। इतना कह कर सेनापति ने अपनी तलवार नीचे रख दी। अब राजा बहुत घबरा गया कि क्या किया जाए। फिर वह अपने राज्य के एक बूढ़े फकीर के पास गया और सारी बातें बताईं। फकीर ने कहा उस सेनापति को फौरन हिरासत में ले कर उसे जेल भेज दो। नहीं तो हार निश्चित है। यदि सेनापति ऐसा सोचेगा तो सेना क्या करेगी। आदमी जैसा सोचता है वैसा हो जाता है।
फिर राजा ने कहा कि युद्ध कौन करेगा ?
फकीर ने कहा मैं।
वह फकीर बूढ़ा था। उसने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा था। और तो और वह कभी घोड़े पर भी नहीं चढ़ा था। उसके हाथ सेना की बागडोर कैसे दे दें। लेकिन कोई दूसरा चारा न था। वह बूढ़ा फकीर घोड़े पर सवार होकर सेना के आगे-आगे चलने लगा। रास्ते में एक पहाड़ी पर एक मंदिर था। फकीर सेनापति वहां रुका और सेना से कहा कि पहले मंदिर के देवता से पूछ लेते हैं कि हम युद्ध में जीतेंगे कि हारेंगे। सेना हैरान होकर पूछने लगी कि देवता कैसे बताएंगे और बताएंगे भी तो हम उनकी भाषा कैसे समझेंगे ? बूढ़ा फकीर बोला ठहरो मैंने आजीवन देवताओं से संवाद किया है और मैं कोई न कोई हल निकाल लूंगा। फिर फकीर अकेले ही पहाड़ी पर चढ़ा और कुछ देर बाद वापस लौट आया।
फकीर ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर के देवता ने मुझसे कहा है कि यदि रात में मंदिर से रोशनी निकलेगी तो समझ लेना कि दैवीय शक्ति तुम्हारे साथ है और युद्ध में अवश्य तुम्हें जीत हासिल होगी। सभी सैनिक श्वास रोके रात होने की प्रतीक्षा करने लगे। रात हुई और उस अंधेरी रात में मंदिर से प्रकाश छन-छन कर आने लगा। सभी सैनिक जयघोष करने लगे और वे युद्ध स्थल की ओर कूच कर गए। 21 दिन के घनघोर युद्ध के बाद सेना विजयी होकर लौटी। रास्ते में वही मंदिर आया तो सेना उस बूढ़े फकीर से बोली कि चलकर उस देवता का धन्यवाद दिया जाए जिनके आशीर्वाद से यह असंभव सा युद्ध हमने जीता है। सेनापति बोला कोई जरूरत नहीं।
सेना बोली बड़े कृतघ्न मालूम पड़ते हैं आप जिनके प्रताप से आशीर्वाद से हमने यह भयंकर युद्ध जीता उस देवता को धन्यवाद भी देना आपको मुनासिब नहीं लगता। तब उस बूढ़े फकीर ने कहा वह दीपक मैंने ही जलाया था जिसकी रोशनी दिन के उजाले में तो तुम्हें नहीं दिखाई दी, पर रात्रि के घने अंंधेरे में तुम्हें दिखाई दी। तुम जीते क्यों कि तुम्हें जीत का ख्याल निश्चित हो गया। विचार अंतत: वस्तुओं में बदल जाता है, विचार अंतत: घटनाओं में बदल जाता है।