Sujanpur Holi Festival: जानें, सुजानपुर टीहरा के प्रसिद्ध होली मेले का इतिहास

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Mar, 2025 09:38 AM

sujanpur holi festival

History of the famous Holi fair of Sujanpur Tira: होली हमारे देश का प्रमुख त्यौहार है जिसका कई राज्यों में अपना अलग ही रूप है। हिमाचल प्रदेश में सुजानपुर टीहरा की होली भी जग प्रसिद्ध है। इस बार यह राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव 12 से 15 मार्च तक आयोजित...

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History of the famous Holi fair of Sujanpur Tira: होली हमारे देश का प्रमुख त्यौहार है जिसका कई राज्यों में अपना अलग ही रूप है। हिमाचल प्रदेश में सुजानपुर टीहरा की होली भी जग प्रसिद्ध है। इस बार यह राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव 12 से 15 मार्च तक आयोजित किया गया। सुजानपुर टीहरा जिला हमीरपुर का सबसे सुंदर एवं आकर्षक स्थान है। इस नगर की स्थापना कार्य 1761 ईस्वी में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने शुरू किया था और पूरा करने का श्रेय उनके पोते राजा संसार चंद को जाता है। ब्यास नदी के बाएं तट पर स्थित नगर की सुंदरता को देखते हुए राजा संसार चंद ने इसे राजधानी बनाने का निर्णय लिया था। देश के विख्यात कलाकार, विद्वान और सुयोग्य व्यक्ति यहां लाकर बसाए गए। तभी से सुजान व्यक्तियों की सुंदर बस्ती सुजानपुर कहलाने लगी।

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सुजानपुर बस स्टैंड से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित एक ऊंची पहाड़ी पर ‘टीहरा’ नामक जगह पर राजा का किला है। इस किले के प्रवेश द्वार पर दोनों ओर बैठे हुए हाथियों की कलाकृतियां बनी हुई हैं और बड़े आकार की दो खिड़कियों से ब्यास नदी को देखने से मन प्रफुल्लित हो जाता है।

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राजा संसार चंद ने अपने शासनकाल में 1775 से 1823 ई. के दौरान सुजानपुर टीहरा में अनेक भव्य भवनों एवं मंदिरों का निर्माण करवाया। उनके शासन काल में कांगड़ा चित्रकला काफी फली-फूली। यहां के सुंदर मंदिरों की दीवारों पर कांगड़ा कलम के मनोहारी चित्र आज भी देखने को मिलते हैं।  नर्वदेश्वर मंदिर इस बेहतरीन चित्रकला का साक्षात गवाह है। मंदिर के चारों कोनों पर सूर्य, गणेश, दुर्गा तथा लक्ष्मी-नारायण के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं।

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कटोच वंश के राजाओं की सेनाएं सुजानपुर टीहरा के चौगान मैदान में अभ्यास करती थीं। मैदान के एक कोने में राजा संसार चंद ने शिखर शैली में मुरली मनोहर मंदिर बनवाया। होली मेले से मुरली मनोहर मंदिर का बहुत गहरा नाता है। इस मंदिर में राजा-रानी स्वयं पूजा किया करते थे। इसके दक्षिण में कटोच वंश की कुलदेवी चामुंडा देवी का मंदिर है। राजा संसार चंद ने होली के रंगीन पर्व को ब्रज होली की तरह लोकोत्सव का स्वरूप प्रदान किया था।

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सुजानपुर के होली मेले का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है। राजा संसार चंद ने सुजानपुर के चौगान में 1795 में प्रजा के साथ पहली बार राजमहल में तैयार खास तरह के गुलाल से तिलक होली खेली थी। अब यहीं होली मेला लगता है जिसकी शुरूआत मुरली मनोहर मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर होती है। मंदिर के अंदर बेहतरीन नक्काशी की गई है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण ने उलटी दिशा में मुरली पकड़ी है।

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