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सूरदास जयंतीः क्या आप जानते हैं संत सूरदास से जुड़े इस प्रसंग के बारे में ?

Edited By Lata,Updated: 09 May, 2019 10:25 AM

surdas jayanti

आज दिनांक 09 मई, 2019 को संत सूरदास जयंती मनाई जाएगी। इनके बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे

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आज दिनांक 09 मई, 2019 को संत सूरदास जयंती मनाई जाएगी। इनके बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे, लेकिन आज हम आपको इनकी विशेष तिथि पर इनके बारे में बात करेंगे। सूरदास भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। उनका जन्म 1478 ई.वी रुनकता नामक गांव में हुआ था और ये गांव मथुरा-आगरा मार्ग पर स्थित है। लेकिन एक ओर मान्यता के अनुसार सूरदास का जन्म सीही नाम के गांव में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाद में ये आगरा और मथुरा के बीच गांव में आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। 
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सूरदास जन्म से ही अंधे थे। इस संबंध में भी मतभेद हैं। प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं इनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षा दी और कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। आगे जानते हैं उनसे जुड़े एक प्रसंग के बारे में।
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सूरदास जन्म से ही नेत्रहीन थे। माना जाता है कि बचपन में उन्हें एक बार भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हो गए थे। एक बार सूरदास भजन गुनगुना रहे थे और वल्लभाचार्य भगवान की मानसिक पूजा कर रहे थे। मानसिक पूजा में मन में ही पूजा की जाती है। जैसे भक्त मन में ही सोचता है कि अमुक सामग्री से और अमुक तरीके से हम भगवान की पूजा कर रहे हैं। मानसिक पूजा में वल्लाचार्य भगवान को पुष्पहार चढ़ा रहे थे, लेकिन पुष्पहार छोटा पड़ गया। हार श्रीकृष्ण के मुकुट में जाकर अटक रहा था। वल्लभाचार्य भगवान को हार पहनाने में असफल हो रहे थे। इसी दौरान सूरदास बोले कि गुरुजी हार की गांठ खोल लें। भगवान को हार पहनाकर फिर से गांठ बांध लेना। वल्लभाचार्य ये सुनकर आश्चर्यचकित हो गए, क्योंकि वे तो मानसिक पूजा कर रहे थे। उनके मन की बात कोई भी नहीं जान सकता, लेकिन सूरदास ने अपनी भक्ति की शक्ति से यह बात जान ली थी।
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