Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Feb, 2025 06:55 AM
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सूर्य पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन परंपरा है। यह मान्यता है कि सूर्यदेव की नियमित पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है
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Surya Arghya Rules: सूर्य पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन परंपरा है। यह मान्यता है कि सूर्यदेव की नियमित पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नियमित अर्घ्य अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है। सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व विशेष रूप से अधिक होता है और इसके साथ कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
सूर्य को अर्घ्य देने के सही नियम
सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय से पहले का समय होता है। सुबह का समय विशेष रूप से पूजा के लिए अनुकूल होता है। सूर्योदय के समय सूर्य के उगने से पहले अर्घ्य अर्पित करना चाहिए ताकि इसे शुभ माना जाए। सूर्योदय के बाद अर्घ्य देना कम फलदायी हो सकता है, इसलिए समय का ध्यान रखें।
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए किसी स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान का चुनाव करें। यह स्थान घर के आंगन या किसी पवित्र स्थान पर हो सकता है। यदि आप बाहर अर्घ्य दे रहे हैं, तो यह स्थान खुला और स्वच्छ होना चाहिए।
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के बर्तन या लोटे का प्रयोग करें। इस लोटे में पानी भरें और उसमें लाल रंग की सामग्री, जैसे कि लाल फूल, लाल चंदन, या गुड़ भी डाल सकते हैं। लोटे को सूर्य की ओर रखें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए अर्घ्य अर्पित करें।
सूर्य को अर्घ्य देते समय ॐ सूर्याय नमः का जाप करें। इन मंत्रों का जाप सूर्यदेव को प्रसन्न करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए किया जाता है। मंत्रों का जाप करते समय मानसिक शांति बनाए रखें और पूरी श्रद्धा के साथ अर्घ्य अर्पित करें।
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सूर्य पूजा के दौरान पीले या सुनहरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग सूर्य की ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक होते हैं और सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
सूर्य को अर्घ्य देते समय नंगे पांव होना आवश्यक है। यह माना जाता है कि इससे पूजा में अधिक पुण्य मिलता है और आत्मा को शुद्धता प्राप्त होती है।
सूर्य को अर्घ्य देते समय लोटे से पानी को सावधानी से अर्पित करें ताकि पानी न गिरे। यह माना जाता है कि यदि पानी गिरता है तो पूजा का फल कम हो सकता है।
अर्घ्य देने के बाद सूर्य को प्रणाम करें और हाथ जोड़कर उनकी आराधना करें। सूर्यदेव को धन्यवाद दें और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय एक बात का खास ध्यान रखें कि दाहिने पैर की एड़ी को हवा में रखना बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से आपके जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है और जीवन में खुशहाली का आगमन होता है।
सूर्य पूजा के समय जल अर्पित करते वक्त व्यक्ति पूरी तरह से सूर्य देव की उपासना में डूबा होता है। यह एक प्रकार का ध्यान है, जिसमें पूजा करने वाला व्यक्ति अपने विचारों को एक स्थान पर केंद्रित करता है। ऐसा करने से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है, क्योंकि मन की स्थिति स्थिर हो जाती है और नकारात्मक विचारों को बाहर निकाला जा सकता है।
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