विनाशकारी साबित हो सकता है कन्या राशि में ग्रहण और मंगल-शनि का षटाष्टक योग

Edited By Prachi Sharma,Updated: 27 Jun, 2024 03:44 PM

surya grahan

इस वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान ग्रहों की चाल वैश्विक स्तर पर भयंकर प्राकृतिक आपदा, सत्ता परिवर्तन और विभिन्न देशों के मध्य बड़े स्तर पर आपसी टकराव के संकेत दे रही है। इसकी शुरुआत

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जालंधर (नरेश कुमार) : इस वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान ग्रहों की चाल वैश्विक स्तर पर भयंकर प्राकृतिक आपदा, सत्ता परिवर्तन और विभिन्न देशों के मध्य बड़े स्तर पर आपसी टकराव के संकेत दे रही है। इसकी शुरुआत भारतीय समय के मुताबिक 2 और 3 अक्तूबर की मध्य रात्रि को लगने वाले सूर्य ग्रहण के साथ होगी। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा और इसका सूतक भी भारत में नहीं लगेगा लेकिन ग्रहण के दौरान ऐसी स्थितियां बन रही हैं जो मानवता के लिए शुभ नहीं हैं। 
 
इस ग्रहण का प्रभाव अफ़्रीकी देशों और अमरीका के कुछ हिस्सों में देखने को मिलेगा। यह ग्रहण मंगल के चित्रा नक्षत्र में लग रहा है। ग्रहण  के समय  शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में वक्री स्थिति में रहेंगे। 

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विनाशकारी साबित हो सकता है कन्या राशि में ग्रहण और मंगल-शनि का षटाष्टक योग

चन्द्रमा और बुध भी ग्रहण के प्रभाव में रहेंगे और ग्रहण पर मिथुन राशि में गोचर कर रहे मंगल की दृष्टि भी रहेगी।  यह ग्रहण करीब 6 घंटे तक चलेगा और भारतीय समय के मुताबिक करीब रात सवा नौ बजे शुरू हो कर सुबह सवा तीन बजे तक रहेगा। यह ग्रहण मानवता के लिए इस कारण कष्टकारी माना जा रहा है क्योंकि इसी तरह का ग्रहण 3 अक्तूबर 2005 को लगा था। अवधि भी करीब 6 घंटे रही थी और पाकिस्तान ,भारत और बंगलादेश सहित कई एशियाई देश इस ग्रहण के प्रभाव में आ गए थे। 

उस दौरान ग्रहण हस्ता नक्षत्र में लगा था और सूर्य के अलावा चंद्र और बुध भी ग्रहण की चपेट में थे। इस ग्रहण के ऊपर शनि की तीसरी दृष्टि थी और मंगल इस ग्रहण के दौरान वक्री अवस्था में थे। इस ग्रहण के 5 दिन बाद 8 अक्तूबर 2005 को पाकिस्तान में आए भयंकर भूकंप में 79000 लोगों की मौत हो गई थी और भारतीय कश्मीर पर भी इसका प्रभाव देखने को मिला था।

इस ग्रहण के अलावा  20 अक्तूबर को मंगल के राशि परिवर्तन के साथ ही मंगल और  शनि का षटाष्टक योग बन जाएगा। मंगल 20 जनवरी तक न सिर्फ नीच राशि कर्क में गोचर करेंगे बल्कि 7 दिसंबर से लेकर 24 फरवरी तक वक्री अवस्था में भी रहेंगे ।  

मंगल और शनि की यह स्थिति भी ज्योतिष के लिहाज से अच्छी नहीं है। इस बीच 30 अक्तूबर लेकर 15 नवंबर तक बुध, गुरु और शनि तीनों गृह एक साथ वक्री अवस्था में रहेंगे। इसके अलावा 16 नवंबर से लेकर 15 दिसंबर के बीच एक महीने में 5 शनिवार और 5 रविवार का आना और इसी दौरान सूर्य और शनि का एक-दूसरे से केंद्र में गोचर करना ज्योतिष की दृष्टि के लिहाज से अच्छा नहीं है।

भूकंप और सूर्य ग्रहण का संबंध
15 जनवरी 2010 को लगे सूर्य ग्रहण के दौरान भी चंद्रमा और बुध ग्रहण के प्रभाव में थे और इस ग्रहण के दौरान भी सूर्य पर मंगल की दृष्टि थी और शनि एव बुध वक्री अवस्था में थे। इस ग्रहण के पांच दिन पहले ही हैती में आए विनाशकारी भूकंप में 3 लाख लोगों की मौत हो गई थी।

साल की आखिरी तिमाही में अशुभ योग
20 अक्तूबर 2024 से 20 जनवरी 2025 तक मंगल और शनि का अशुभ षटाष्टक योग रहेगा
30 अक्तूबर 2024 से 15 नवंबर 2024 तक बुध, गुरु और शनि तीनों गृह एक साथ वक्री रहेंगे
16 नवंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक 5 शनिवार और 5 रविवार आना अशुभ योग है

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