Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 May, 2020 06:10 AM

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है तब सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं , तब इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। उन्होंने कहा 21 जून को वलयाकार इस ग्रहण की
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है तब सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं , तब इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। उन्होंने कहा 21 जून को वलयाकार इस ग्रहण की शुरुआत सुबह 9 बजकर 15 मिनट होगी और यह दोपहर 02 बजकर 2 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जायेगा।

ज्योतिष शोधार्थी व एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान पुस्तक के लेखक गुरमीत बेदी के अनुसार भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा।

बेदी के अनुसार यह ग्रहण क्योंकि मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है इसलिए मिथुन वालों पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा। इस ग्रहण के समय कुल 6 ग्रह वक्री होंगेऔर ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में बैठकर सूर्य चंद्रमा बुद्ध व राहू को देख रहा होगा , जो अच्छा संकेत नहीं है। इससे समंदर में चक्रवात, तूफान, बाढ़ वह अत्यधिक बारिश जैसे प्राकृतिक प्रकोप के आसार बनेंगे।

शनि, मंगल और गुरु के प्रभाव से विश्व के कई बड़े देशों में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक देखने को मिलेगा। लेकिन स्वतंत्र भारत की कुंडली के ग्रह गोचर की स्थिति के मुताबिक भारत के लिए राहत की बात यह होगी कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। विश्व में भारत की साख भी बढ़ेगी।