Edited By Jyoti,Updated: 30 Jun, 2018 09:12 AM
सूर्य देव को सभी ग्रहों का पिता कहा जाता है। ग्रहों के पिता होने के नाते सूर्य देव सभी अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव से मुक्ति दिलाते हैं। इसलिए शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि...
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सूर्य देव को सभी ग्रहों का पिता कहा जाता है। ग्रहों के पिता होने के नाते सूर्य देव सभी अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव से मुक्ति दिलाते हैं। इसलिए शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि सूर्य को प्रायः काल में जल अर्घ्य करने से मनुष्य का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता जाता है। इसका सही तरीका जान लेना बहुत आवश्यक है वरना इसका उल्टा असर भी हो सकता है। कई बार ऐसा होता है कि नियमित रूप से जल चढ़ाने पर भी कोई मन चाहा हुआ परिणाम नहीं मिलता।
सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे पहला नियम यह है कि उन्हें सुबह 8 बजे से पहले ही जल अर्पित करना चाहिए।सूर्य देव को जल अर्पण करने का कार्य स्नान के बाद ही करना चाहिए।
उपाय-
सूर्य को जल अर्पण करने से राशिचक्र के सभी ग्रह मज़बूत होते हैं। इसलिए सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में गुड़ और चावल को भी मिलाना चाहिए।
सूर्य को जल चढ़ाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। अगर कभी पूर्व दिशा की ओर सूर्य नजर न आएं तब भी उसी दिशा की ओर मुख करके अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य को जल अर्पण के लिए किसी अन्य दिशा का प्रयोग नही करना चाहिए। एेसा करन से हमें मनचाहे फल की प्राप्ति नहीं होती।
सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए उसमें फूल और चावल का मिला सकते हैं। इसके साथ ही अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।
लाल वस्त्र पहनकर सूर्य देव को जल चढ़ाना ज्यादा प्रभावी माना गया है। इसके अलावा सूर्यदेव को धूप दिखानी चाहिए।
सूर्य मंत्र-
ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ हिरन्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ श्री सवित्रि सूर्य नारायणाय नमः
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