Edited By Sarita Thapa,Updated: 03 Mar, 2025 02:04 PM
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Suryakant Tripathi Nirala story: एक बार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ अपने प्रकाशक से 1200 रुपए पुस्तक की रॉयल्टी लेकर रिक्शा से घर लौट रहे थे।
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Suryakant Tripathi Nirala story: एक बार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ अपने प्रकाशक से 1200 रुपए पुस्तक की रॉयल्टी लेकर रिक्शा से घर लौट रहे थे। रास्ते में एक बुढ़िया ने निराला से कहा, “बेटा ! इस गरीब को कुछ भीख दे दो।”
निराला उस महिला के पास पहुंचे और उसकी गर्दन पकड़ ली। बोले, “निराला को बेटा कह रही हो और मांग रही हो भीख। यदि तुम्हें 5 रुपए दे दूं तो कब तक भीख नहीं मांगोगी?”
बूढ़ी औरत ने कहा, “आज दिन भर।”
निराला बोले, “अगर 10 रुपए दे दूं तो?” औरत बोली, “2 दिन।”
यदि 100 रुपए दे दूं तो? बूढ़ी औरत आश्चर्यचकित हो गई। उससे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था। निराला ने जेब में हाथ डाला। रॉयल्टी के मिले सारे रुपए निकाले और उस महिला को देते हुए कहा, “यह रखो। खबरदार, निराला की मां होकर आज के बाद यदि भीख मांगती दिखीं तो गर्दन दबा दूंगा।”
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बूढ़ी महिला निराला जैसे बेटे को आशीष पर आशीष दिए जा रही थी लेकिन वह तो ऐसे भाव में थे कि जैसे कुछ हुआ ही न हो। सारे पैसे देने के बाद निराला सीधे महान कवीयत्री महादेवी वर्मा के घर पहुंचे और उनसे कहा- आप रिक्शा का किराया दे दीजिए। महादेवी वर्मा ने आश्चर्य से पूछा जो 1200 रुपए मिले वे कहां गए? निराला ने कहा कि वे रुपए मां को दे दिए। रिक्शा वाला चुपचाप दोनों की बातें सुन रहा था और फिर उससे रहा न गया। उसने सारी बात महादेवी वर्मा को बता दी। यह सुनकर महादेवी वर्मा की आंखों में पानी भर आया और उन्होंने रिक्शा वाले को उसके पैसे देकर विदा कर दिया।
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