स्वामी प्रभुपाद: श्री कृष्ण का निर्णय अंतिम तथा पूर्ण है

Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Sep, 2024 10:46 AM

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अनुवाद एवं तात्पर्य : हे कृष्ण! यही मेरा संदेह है और मैं आपसे इसे पूर्णातया दूर करने की प्रार्थना कर रहा हूं। आपके अतिरिक्त

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एतन्मे संशयं कृष्म छेत्तुमर्हस्यशेषत:।
त्वदन्य: संशयस्यास्स छेत्ता न ह्युपपद्यते॥6.39॥

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अनुवाद एवं तात्पर्य : हे कृष्ण! यही मेरा संदेह है और मैं आपसे इसे पूर्णातया दूर करने की प्रार्थना कर रहा हूं। आपके अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा नहीं है, जो इस संदेह को नष्ट कर सके।

कृष्ण भूत, वर्तमान तथा भविष्य के जानने वाले हैं। भगवद्गीता के प्रारंभ में भगवान ने कहा है कि सारे जीव व्यष्टि रूप में भूतकाल में विद्यमान थे। इस समय विद्यमान हैं और भवबंधन से मुक्त होने पर भविष्य में भी व्यष्टि रूप में बने रहेंगे। इस प्रकार उन्होंने व्यष्टि जीव के भविष्य के प्रश्न का स्पष्टीकरण कर दिया है।

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अब अर्जुन असफल योगियों के भविष्य के विषय में जानना चाहता है। कोई न तो कृष्ण के समान है न ही उनसे बड़ा। तथाकथित बड़े-बड़े ऋषि तथा दार्शनिक जो प्रकृति की कृपा पर निर्भर हैं निश्चय ही उनकी समता नहीं कर सकते। अत: समस्त संदेहों का पूरा-पूरा उत्तर पाने के लिए कृष्ण का निर्णय अंतिम तथा पूर्ण है क्योंकि वे भूत, वर्तमान तथा भविष्य  के ज्ञाता है, किन्तु उन्हें कोई भी नहीं जानता। कृष्ण तथा कृष्णभावनाभावित व्यक्ति ही जान सकते हैं कि कौन क्या है ?

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