स्वामी प्रभुपाद: उत्पत्ति तथा प्रलय में है सारे प्राणियों की शक्ति

Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Dec, 2024 08:57 AM

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सारे प्राणियों का उद्गम इन दोनों शक्तियों में है। इस जगत में जो कुछ भी भौतिक तथा आध्यात्मिक है, उसकी उत्पत्ति तथा प्रलय मुझे ही जानो।

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एतद्योनीनि भूतानि सर्वाणीत्युपधारय। 
अहं कृत्स्नस्य जगतः: प्रभवः: प्रलयस्तथा॥7.6॥

अनुवाद एवं तात्पर्य : सारे प्राणियों का उद्गम इन दोनों शक्तियों में है। इस जगत में जो कुछ भी भौतिक तथा आध्यात्मिक है, उसकी उत्पत्ति तथा प्रलय मुझे ही जानो।

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जितनी वस्तुएं विद्यमान हैं, वे पदार्थ तथा आत्मा के प्रतिफल हैं। आत्मा सृष्टि का मूल क्षेत्र है और पदार्थ आत्मा द्वारा उत्पन्न किया जाता है। भौतिक विकास की किसी भी अवस्था में आत्मा की उत्पत्ति नहीं होती, अपितु यह भौतिक जगत आध्यात्मिक शक्ति के आधार पर ही प्रकट होता है। इस भौतिक शरीर का विकास हुआ क्योंकि इसके भीतर आत्मा उपस्थित है।

एक बालक धीरे-धीरे बढ़कर कुमार तथा अंत में युवा बन जाता है क्योंकि उसके भीतर आत्मा उपस्थित है। इसी प्रकार इस विराट ब्रह्मांड की समग्र सृष्टि का विकास परमात्मा विष्णु की उपस्थिति के कारण होता है। अत: आत्मा तथा पदार्थ मूलत: भगवान की दो शक्तियां हैं, जिनके संयोग से विराट ब्रह्मांड प्रकट होता है। अत: भगवान ही सभी वस्तुओं के आदि कारण हैं।

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भगवान का अंश रूप जीवात्मा भले ही किसी गगनचुम्बी प्रसाद या किसी महानगर का निर्माता हो सकता है, किन्तु वह विराट ब्रह्मांड का निर्माता नहीं हो सकता, जिसका सृष्टा भी विराट आत्मा या परमात्मा हैं और परमेश्वर कृष्ण विराट तथा लघु दोनों ही आत्माओं के कारण हैं। 

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