Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Aug, 2023 09:51 AM
स्वामी रामतीर्थ महान संत होने से पहले गणित के अध्यापक भी थे। एक बार की बात है, वह क्लास में पढ़ा रहे थे। उन्होंने देखा कुछ विद्यार्थी आपस में लड़ रहे हैं। यह उन्हें अच्छा
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Swami Ram Tirth Story: स्वामी रामतीर्थ महान संत होने से पहले गणित के अध्यापक भी थे। एक बार की बात है, वह क्लास में पढ़ा रहे थे। उन्होंने देखा कुछ विद्यार्थी आपस में लड़ रहे हैं। यह उन्हें अच्छा नहीं लगा। कुछ दिन बाद उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर चॉक से एक लाइन खींची और विद्यार्थियों से कहा, ‘‘आओ, मैंने जो यह लाइन खींची है, इसे छोटा करो।’’
एक विद्यार्थी ब्लैक बोर्ड के पास आया और वह उस लाइन को मिटाने लगा। इस पर रामतीर्थ बोले, ‘‘नहीं, बिना हाथ लगाए इसे छोटा करो।’’
दूसरे विद्यार्थी ने कहा, ‘‘गुरु जी, हम इसे काटकर ही तो छोटा कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, इस लाइन को न काटना है और न ही मिटाना है।’’
किसी विद्यार्थी की समझ में यह बात नहीं आई।
सबने कहा, ‘‘यह कैसे संभव हो सकता है।’’
इसके बाद स्वामी जी ने पहली वाली लाइन के नीचे एक और लाइन खींच दी, जो पहली वाली लाइन से बड़ी थी। अब विद्यार्थियों की तरफ देखकर वह बोले, ‘‘अब पहली वाली लाइन छोटी हुई कि नहीं?
सभी विद्यार्थियों ने सहमति में सिर हिलाया। उन्होंने कहा, ‘‘तुम भी ऐसा कर सकते हो। तुममें भी वह शक्ति है, तुम में भी वह ज्ञान है, लेकिन ईर्ष्या की वजह से तुम यह देख नहीं पा रहे।’’
स्वामी रामतीर्थ ने विद्यार्थियों को समझाया, ‘‘यदि तुम्हें दूसरों से आगे बढ़ना है तो अपने गुण से, अपने कार्य से, अपनी कला-कौशल से इस लंबी लाइन की तरह बढ़ जाओ। हम दूसरों को बिना हटाए भी आगे बढ़ सकते हैं। आप सभी अपने गुणों को निखारें, एक-दूसरे की सहायता करने का प्रयास करें। इसी से आप बड़ा बन पाएंगे।