Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Nov, 2024 11:49 AM
एक व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास आकर बोला कि मैं बहुत दुखी हूं, मैं मेहनत करता हूं लगन से काम करता हूं लेकिन सफल नहीं हो पाता।
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Swami Vivekananda Story: एक व्यक्ति स्वामी विवेकानंद के पास आकर बोला कि मैं बहुत दुखी हूं, मैं मेहनत करता हूं लगन से काम करता हूं लेकिन सफल नहीं हो पाता।
उन दिनों स्वामी जी के पास एक छोटा-सा पालतू कुत्ता था, स्वामी जी ने उस व्यक्ति से कहा, “तुम कुछ दूर मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ, फिर मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूंगा।” वह व्यक्ति कुत्ते को लेकर चला गया।
काफी देर बाद व्यक्ति वापस स्वामी जी के पास लौटा। उसका चेहरा चमक रहा था, जबकि कुत्ता पूरी तरह हांफ रहा था और थका हुआ लग रहा था।
स्वामी जी ने व्यक्ति से कहा कि कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया ? जबकि तुम तो तरोताजा दिख रहे हो।
व्यक्ति बोला, “मैं तो सीधे रास्ते चल रहा था, लेकिन ये कुत्ता, गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था।”
हम दोनों ने रास्ता तो बराबर तय किया है लेकिन फिर भी कुत्ते ने मेरे से ज्यादा दौड़ लगाई।
इसीलिए थक गया है।” स्वामी जी मुस्कुराकर बोले, “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है।
तुम्हारी मंजिल तुम्हारे आस-पास ही है लेकिन तुम मंजिल की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजिल से दूर हो जाते हो। अत: अपना लक्ष्य खुद निर्धारित करो।”
यह सुनकर व्यक्ति संतुष्ट होकर घर लौट गया।