Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Mar, 2025 08:25 AM
स्वामी विवेकानंद प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी लोग उनके व्यक्तित्व तथा वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वह अपने साथी छात्रों को कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे।
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Swami Vivekananda Story: स्वामी विवेकानंद प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी लोग उनके व्यक्तित्व तथा वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वह अपने साथी छात्रों को कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे। एक दिन कक्षा में वह कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे। सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब मास्टर जी कक्षा में आए और पढ़ाना शुरू कर दिया। मास्टर जी को फुसफुसाहट सुनाई दी।
‘‘कौन बात कर रहा है ?’’ मास्टर जी ने तेज आवाज में पूछा तो सभी छात्रों ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों की तरफ इशारा कर दिया।
मास्टर जी क्रोधित हो गए। उन्होंने तुरंत उन छात्रों से पाठ से संबंधित प्रश्न पूछने लगे। कोई उत्तर नहीं दे पाया। अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया, स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों, उन्होंने आसानी से उस प्रश्न का उत्तर दे दिया। यह देख मास्टर जी को यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बातचीत में लगे हुए थे।
फिर क्या था? उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बैंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी छात्र एक-एक कर बैंच पर खड़े होने लगे तो स्वामी जी ने भी यह किया।
मास्टर जी बोले, ‘‘नरेंद्र तुम बैठ जाओ।’’
‘‘नहीं सर, मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वह मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था।’’ स्वामी जी ने आग्रह किया। सभी उनकी सच बोलने की हिम्मत देख बहुत प्रभावित हुए।