Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 May, 2024 03:43 PM
ऊटी तमिलनाडु की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा (2,637 मीटर) की पृष्ठभूमि में स्थित एक अनोखा पहाड़ी शहर
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ooty Tourism: ऊटी तमिलनाडु की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा (2,637 मीटर) की पृष्ठभूमि में स्थित एक अनोखा पहाड़ी शहर है। यह पारम्परिक और औपनिवेशिक शैली की इमारतों से सुसज्जित है, जो नई और पुरानी वास्तुकला का संगम लगती हैं। नीला आसमान, हरी-भरी पहाड़ियां, हरी-भरी घाटियां और सुहावना मौसम नीलगिरि (ब्ल्यू माऊंटेन) के इस रत्न को दक्षिण भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं। कॉफी और चाय के बागान, यूकेलिप्टस वृक्ष, शंकुधारी और चीड़ के वृक्षों से आच्छादित जंगल, शोला के पेड़ों का घना आवरण, ऊटी को प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग बनाते हैं। इसकी सुंदरता की ऐसी महिमा है कि इसे पहाड़ों की रानी और भारत के स्विट्जरलैंड के रूप में जाना जाता है।
ब्रिटिश जमाने में यह अंग्रेजों के ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए लोकप्रिय था। यह ब्रिटिश भारत में मद्रास प्रैसीडैंसी की राजधानी भी थी। ऊटी का पुराना नाम ऊटकमुंड था और अब इसका आधिकारिक नाम उधगमंडलम है लेकिन आज भी यह देश तथा दुनिया भर में ऊटी के नाम से ही प्रसिद्ध है।
औपनिवेशिक विरासत के कारण यहां वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने देखने को मिलते हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है, राजभवन या सरकारी निवास। यह क्रीम रंग का विशाल बंगला है, जिसमें एक भव्य बॉलरूम भी है। यह ब्रिटिशकालीन मद्रास के गवर्नर का निवास हुआ करता था। पुराने दिनों में, मद्रास की उमस भरी गर्मी से बचने के लिए मद्रास के गवर्नर कुछ महीनों के लिए ऊटी आया करते थे। बाद में जब अंग्रेजों को नीलगिरी पहाड़ों की सुंदरता के बारे में पता चला, तो उन्होंने पाया कि इसका मौसम स्विट्जरलैंड की तरह है, इसलिए उन्होंने इसे दक्षिण भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया।
इस अनोखे पहाड़ी शहर में घूमने का सबसे अच्छा तरीका टॉय ट्रेन है, जो एशिया की सबसे तीव्र ढलान वाली पटरियों पर चलती है। यह ट्रेन 1,069 फुट से 7,228 फुट की ऊंचाई पर चलती हुई, कई लुभावने और सुरम्य स्थलों से गुजरती है। पर्यटक इस ट्रेन से चट्टानी इलाकों, बीहड़ और हरी-भरी पहाड़ियों के शानदार नजारों का आनंद ले सकते हैं। यह टॉय ट्रेन कुछ दर्शनीय स्थलों जैसे कुन्नूर, वेलिंगटन और लॉवडेल से होकर गुजरती है। ऊटी में मुख्य रूप से टोडा जनजाति का निवास है। वे सदियों से इस क्षेत्र को अपना घर कहते आ रहे हैं।
Major attractions प्रमुख आकर्षण
Government Botanical Garden सरकारी बोटैनिकल गार्डन
डोडाबेटा पर्वत की ढलानों पर फैला हुआ सरकारी बोटैनिकल गार्डन 2,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह शांत उद्यान 6 भागों में विभाजित है: लोअर गार्डन, इटालियन गार्डन, न्यू गार्डन, कंजर्वेटरी, फाऊंटेन टैरेस और नर्सरी। यहां पर हरे-भरे मैदानों में वनस्पति की विशिष्ट और दुर्लभ प्रजातियां तथा अनेक प्रकार की फूलों वाली झाड़ियां और पौधे हैं। यह उद्यान नीलगिरि की प्राकृतिक पेड़-पौधों की एक सजीव दीर्घा है और दिन बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। बगीचे की विशेषताओं में कॉर्क ट्री (भारत में अपनी तरह का एक ही है), मंकी पजल ट्री और 2 करोड़ साल पुराना जीवाश्म पेड़ शामिल है, इसे देखना न भूलें। इटालियन गार्डन में स्वच्छ पानी का एक तालाब है और फर्न हाऊस में विभिन्न प्रकार के आर्किड और फर्न हैं।
इस गवर्नमैंट बोटैनिकल गार्डन की स्थापना वर्ष 1848 में प्रसिद्ध वास्तुकार विलियम ग्राहम मैकिवर ने की थी। इसे ब्रिटिश निवासियों को उचित दाम पर सब्जियों की आपूर्ति के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इस उद्यान की देख-रेख वर्तमान में तमिलनाडु का हॉर्टीकल्चर विभाग करता है।
Kalahatti Falls कलाहट्टी जलप्रपात
ऊटी से लगभग 13 किलोमीटर दूर कलाहट्टी गांव है। यहां से दो मील के ट्रैक के बाद, एक शानदार कलाहट्टी जल प्रपात तक पहुंच सकते हैं। घनी वनस्पति के बीचों-बीच ट्रैकिंग करना अपने आप में बहुत रोमांचक है। झरने तक पहुंचने के लिए एक पथरीले रास्ते से होकर ब्रिटिश काल में बने एक पुल को पार करना होता है। कहा जाता है कि इस झरना स्थल पर कभी अगस्त्य ऋषि का निवास हुआ करता था। 100 फुट ऊंचे इस झरने के नीचे भूमि पर विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का भंडार है, जो देखने योग्य है। पास के बांदीपुर जंगल में इलायची के पेड़ भरे हुए हैं, जिनकी खुशबू चारों ओर फैली रहती है। ऊटी-मैसूर सड़क के पास स्थित यह स्थान 36 हेयरपिन मोड़ के लिए प्रसिद्ध है। यहां दालचीनी, लौंग, काली मिर्च, जायफल, दौनी, चंदन, जैसे मसालों के बागान हैं।
Ooty Lake ऊटी झील
ऊटी का गौरव कही जाने वाली मानव निर्मित झील, नीलगिरी के इस हिस्से में आकर्षण का मुख्य केंद्र है। एक लोकप्रिय मनोरंजक पर्यटन स्थल, यह एल आकार की झील है। यहां नौका विहार की सुविधा भी है। इसके पास में ही, एक छोटा बगीचा और मनोरंजन पार्क भी है। 65 एकड़ में फैली इस झील का निर्माण वर्ष 1824 में कोयंबटूर के तत्कालीन कलैक्टर जॉन सूलिवान की देखरेख में किया गया था।
Needle rock नीडल रॉक
सूसी मलाई के नाम से भी जाना जाने वाला नीडल रॉक व्यूपॉइंट गुडालूर से 8 किलोमीटर की दूरी पर ऊटकमुंड गुडालूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। नीडल रॉक से नीलगिरि के घास के मैदानों और खूबसूरत घाटियों का 360 डिग्री नजारा दिखता है।
Mukurthi National Park and Peak मुकुर्ती नैशनल पार्क एंड पीक
नीलगिरी के ऊपरी हिस्से पर स्थित, मुकुर्ती नैशनल पार्क ऊटकमुंड से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। पार्क में जहां-तहां घने शोल के वृक्ष हैं, इसका परिदृश्य हरा-भरा, रंगीन और बेहद सुरम्य है। चोटी के शिखर पर विविध प्रकार की वनस्पतियां और जीव हैं। यहां का मुख्य आकर्षण नीलगिरी तहर है, जिसे बड़ी संख्या में यहां चरते हुए देखा जा सकता है। मुकुर्ती नैशनल पार्क लोकप्रिय नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का एक प्रमुख हिस्सा है।
Doddabetta Peak डोड्डाबेट्टा पीक
डोड्डाबेट्टा, जिसका शाब्दिक अर्थ विशाल पर्वत है, नीलगिरी की सबसे ऊंची चोटी, 2,373 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। डोड्डाबेट्टा पीक ऊटी बस टर्मिनल से लगभग 10 कि.मी. दूर, पूर्वी और पश्चिमी घाट के जंक्शन पर स्थित है। पर्यटन विभाग द्वारा यहां पर्वत चोटी पर एक टैलीस्कोप हाऊस स्थापित किया गया है, जिसके पास पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। इस टैलीस्कोप से नीचे बसे पूरे शहर का नजारा देखा जा सकता है। यहां से अन्य पर्वत श्रृंखलाएं जैसे, हेक्युबा, कट्टाकडू और कुलकुडी, आदि शानदार दिखते हैं। यहां फोटोग्राफी के बेहतरीन अवसर हैं, इसलिए यहां आप अपना कैमरा ले जाना न भूलें।