Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Apr, 2023 09:44 AM

अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में तात्या टोपे की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशवा, राव साहब जैसे वीर इस दुनिया से विदा लेकर चले गए तब वह लगभग एक
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Tatya Tope Death Anniversary 2023: अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में तात्या टोपे की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशवा, राव साहब जैसे वीर इस दुनिया से विदा लेकर चले गए तब वह लगभग एक साल तक अंग्रेजों के विरुद्ध लगातार संघर्ष करते रहे।
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तात्या टोपे का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग येवलकर था, लेकिन सब इनको प्यार से तात्या ही कहते थे। उनका जन्म 16 फरवरी, 1814 को महाराष्ट्र में नासिक के पास पटौदा जिले के एक छोटे से गांव येवला में हुआ था। 1857 में जब देश में स्वतंत्रता के लिए संग्राम शुरू हुआ तो पेशवा नाना साहब ने तात्या टोपे को अपनी सेना की जिम्मेदारी देते हुए उनको अपनी सेना का सलाहकार मनोनीत किया।
अंग्रेजों ने जब ब्रिगेडियर जनरल हैवलॉक की अगुवाई में कानुपर पर हमला किया तो नाना की हार हो गई। इसके बाद तात्या ने 20000 सैनिकों के साथ मिलकर अंग्रेजों को कानपुर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। तात्या टोपे ने अपने संपूर्ण जीवन में अंग्रेजों के खिलाफ करीब 150 युद्ध पूरी वीरता के साथ लड़े। कई बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा लेकिन कभी पकड़े नहीं गए।
राजा मान सिंह ने राजगद्दी के लालच में धोखे से अंग्रेजों को इनके छुपने के स्थान की गुप्त सूचना दे दी जिससे 7 अप्रैल, 1859 को अंग्रेजों ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें मौत की सजा सुना कर 18 अप्रैल को फांसी पर चढ़ा दिया गया। तात्या टोपे के सम्मान में भारत सरकार एक डाक टिकट के अलावा 200 रुपए का स्मरणीय और 10 रुपए का प्रसार सिक्का जारी कर चुकी है। कानपुर में तात्या जी का एक स्मारक भी बना है।
