Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 May, 2022 10:19 AM
शास्त्रों के अनुसार भगवान ब्रह्मदेव ने भविष्यवाणी की थी कि हर युग में श्री गणेश विभिन्न रुपों में अवतरित होंगे। कृतयुग में विनायक, त्रेतायुग में मयूरेश्वर
Mahaganapati Temple Maharashtra: शास्त्रों के अनुसार भगवान ब्रह्मदेव ने भविष्यवाणी की थी कि हर युग में श्री गणेश विभिन्न रुपों में अवतरित होंगे। कृतयुग में विनायक, त्रेतायुग में मयूरेश्वर, द्वापरयुग में गजानन एवं धूम्रकेतु नाम से कलयुग में अवतार लेंगे।
गणपति जी के आठ प्रमुख मंदिरों में से एक है महागणपति मंदिर जो रांजणगांव में पुणे अहमदनगर राजमार्ग पर 50 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। इतिहास पर दृष्टिपात करने से ज्ञात होता है की यह मंदिर 9वीं और 10 वीं सदी के मध्य होंद में आया।
शिव जी ने त्रिपुरासुर के साथ युद्ध करने से पूर्व गणेश जी की पूजा की थी तत्पश्चात मंदिर का निर्माण करवाया। तब यह स्थान मणिपुर के नाम से जाना जाता था पर आज इसे लोग रांजणगांव कहते हैं।
शिव जी ने दैत्यराज त्रिपुरासुर को गणेश जी के आशीर्वाद से पराजित किया था इसलिए इन्हें त्रिपुरारी महागणपति के रूप में भी पूजा जाता है। तभी तो मंदिर में विराजित इनका स्वरूप हथियारों से सुसज्जित है।
मुस्लिम हमलों के डर से गणपति जी का वास्तविक स्वरूप मंदिर के एक तहखाने में छिपाया हुआ है। मंदिर में विराजित गणेश जी की प्रतिमा को माहोतक भी कहा जाता है क्योंकि इसकी 10 सूंड़ और 20 हाथ हैं ।
गणेश जी की प्रतिमा बैठे आसन में दिखाई देती हैं और उनके ईर्द-गिर्द रिद्धी-सिद्धी की प्रतिमाएं हैं।
भव्य प्रवेश द्वार में अलंकृत महागणपति मंदिर पूर्वमुखी है। जय और विजय दो द्वारपाल हैं जिनकी प्रतिमाएं मुख्य द्वार पर अवस्थित हैं। भोर फटते ही सूरज की पहली किरण सीधी प्रतिमा पर पड़ती है। श्री अष्टविनायक गणपति स्वरूपों में महागणपति गणेश जी का सबसे शक्तिशाली प्रतिरूप है।