Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Sep, 2024 09:25 AM
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में प्रयुक्त किए जाने वाले घी में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की पुष्टि हुई है। इसके बाद मामले पर सियासत गर्मा गई है। लेकिन देश के
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नई दिल्ली (विशेष : आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में प्रयुक्त किए जाने वाले घी में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की पुष्टि हुई है। इसके बाद मामले पर सियासत गर्मा गई है। लेकिन देश के कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां प्रसाद के तौर पर मांसाहार का उपयोग किया जाता है। कहीं शराब तो कहीं गांजे का प्रसाद प्रचलन में है। आइए जानते हैं अनोखे मंदिरों के अनोखे प्रसाद के बारे में।
चिकन और मटन बिरयानी (मुनियंडी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु): तमिलनाडु के मदुरै में वडक्कमपट्टी नामक एक छोटे से गांव में स्थित भगवान मुनियंडी मंदिर में चिकन और मटन बिरयानी का प्रसाद श्रद्धालुओं को परोसा जाता है। मुनियंडी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है।
मछली और मटन (विमला मंदिर, ओडिशा): ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर परिसर के भीतर स्थित इस मंदिर को शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां देवी बिमला (दुर्गा का एक अवतार) को दुर्गा पूजा के दौरान मछली और बकरी का प्रसाद चढ़ाया व बांटा जाता है।
मछली और ताड़ी (पारसिक कदवु मंदिर, केरल): भगवान मुथप्पन को समर्पित एक मंदिर, जिसे कलियुग में पैदा हुए भगवान विष्णु और शिव के अवतार के रूप में जाना जाता है। यहां ताड़ी व जली हुई मछली का भोग लगता है।
लाल कपड़े का प्रसाद (कामाख्या मंदिर, असम): इस शक्तिपीठ के कपाट 22 से 25 जून के बीच बंद रहते हैं। माना जाता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती हैं। तीन दिन देवी सती के मासिक धर्म के चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है। तीन दिन बाद कपड़े का रंग लाल हो जाता है, तो इसे प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
मछली और मांस (तारापीठ, बंगाल): बीरभूम जिले में तारापीठ मंदिर के नाम से मां दुर्गा का मंदिर है। यहां लोग मांस की बलि चढ़ाते हैं, जो शराब के साथ देवी को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। फिर भक्तों में बांटा जाता है।
शराब का प्रसाद (खबीस बाबा मंदिर, यूपी): इस मंदिर में शराब का प्रसाद चढ़ाया और बांटा जाता है।
गांजा का प्रसाद, (श्री मौनेश्वर मंदिर, कर्नाटक): यहां गांजा भगवान के प्रसाद के रूप में दिया जाता है। यहां के शारना, अवधूत, शपथ जैसे समुदाय के लोग इसे प्रसाद समझकर अलग-अलग रूप में इसका सेवन करते हैं।
मछली और ताड़ी (पारसिनिक्कादावु मंदिर, कन्नूर): यहां मछली, ताड़ी और शराब की बोतलें भी प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं। हर दिन पूजा के बाद ये सभी चीजें भक्तों को प्रसाद के रूप में परोसी जाती हैं।
लंगोट का प्रसाद (नालंदा): बिहार के नालंदा जिले में बिहारशरीफ के पंचाने नदी किनारे स्थित बाबा मणिराम अखाड़ा मंदिर अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर में भगवान को प्रसाद के रूप में लंगोट चढ़ाया जाता है।