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The Expressions Summit 2025: 23 से 26 जनवरी तक कला और संस्कृति का महाकुंभ, आएं आप भी लगाएं डुबकी

Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Jan, 2025 02:52 PM

the expressions summit 2025

भारत की कला और सांस्कृतिक परंपराओं के अद्वितीय योगदान के लिए भाव- द एक्सप्रेशंस सम्मेलन 2025 का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मलेन ट्रांस समुदायों के योगदान का उत्सव मनाते हुए

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The Expressions Summit 2025: भारत की कला और सांस्कृतिक परंपराओं के अद्वितीय योगदान के लिए भाव- द एक्सप्रेशंस सम्मेलन 2025 का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मलेन ट्रांस समुदायों के योगदान का उत्सव मनाते हुए, उन्हें एक वैश्विक मंच प्रदान करने से लेकर पद्मश्री मंजम्मा जोगठी और सुशांत दिवगिकर ( रानी कोहेनूर) जैसे दिग्गजों के साथ प्रदर्शन और वक्तव्य जैसे कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को एक मंच पर एक साथ ला रहा है। सम्मलेन में जिनमें पद्मविभूषण सोनल मानसिंह, पद्मश्री उमा महेश्वरी, ओमप्रकाश शर्मा, वामन केंद्रे, 93 वर्षीय वीणा वादक आर. विश्वेश्वरन और 88 वर्षीय मृदंगम उस्ताद ए.वी. आनंद जैसे कला के 70 से अधिक दिग्गजों की प्रस्तुतियां और वक्तव्य होंगे। यह सम्मलेन पारंपरिक और समकालीन कला रूपों का अनोखा संगम होगा। भाव सम्मलेन 23-26 जनवरी को आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बेंगलुरु में आयोजित किया जाएगा जो 600 प्रतिनिधियों और कलाकारों के लिए एक अनूठा और प्रेरणादायक अनुभव प्रदान करेगा। भारतीय संस्कृति और कलाकारों के प्रति अपना समर्थन दिखाते हुए, माननीय केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी भाव - द एक्सप्रेशंस समिट 2025 में उपस्थित रहेंगे।

PunjabKesari The Expressions Summit 2025

यहां भारत के इस वर्ष के सबसे बड़े कला और सांस्कृतिक संगम के विषय में 10 तथ्य दिए जा रहे हैं:

दिग्गजों के असाधारण प्रदर्शन का शानदार संगम
इस वर्ष, कला की दुनिया के दिग्गज अपने असाधारण प्रदर्शन से रंग भरने के लिए तैयार हैं। इनमें पद्मविभूषण सोनल मानसिंह, पद्मश्री उमा महेश्वरी, पद्मश्री ओमप्रकाश शर्मा, पद्मश्री वामन केंद्रे, 93 वर्षीय वीणा वादक आर. विश्वेश्वरन और 88 वर्षीय मृदंगम विशेषज्ञ ए.वी. आनंद, जो बाएं हाथ से मृदंगम बजाने वाले कुछ गिने- चुने कलाकारों में से एक हैं। इसके अलावा, दुनिया की पहली महिला तबला वादक अनुराधा पाल, कुचिपुड़ी की प्रसिद्ध कलाकार सुनंदा देवी, कर्नाटक संगीतज्ञ रत्नम राजम शंकर, कथक नृत्यांगना मनीषा साठे, कवि और लेखक आलोक श्रीवास्तव और लोक संगीत के दिग्गज डॉ. गणेश चंदनाशिवे जैसे नाम शामिल हैं।

भारत के महान कलाकारों, उभरती प्रतिभाओं और आकांक्षियों का अद्भुत संगम
भाव महोत्सव भारत के महान कलाकारों, उभरती प्रतिभाओं और उत्साही छात्रों का एक अनोखा संगम है जो दिग्गज कलाकारों, संगीतज्ञों और उभरते सितारों को एक मंच पर लाता है। तीन दिनों तक, यह एक ऐसा अद्भुत अवसर होगा जहां सभी अपनी कला को साझा कर सकेंगे और उसका आनंद ले पाएंगे।

समकालीन कला रूपों को भी मिलेगा मंच
इस महोत्सव में समकालीन कला रूपों को भी जगह दी जाएगी। अग्रणी समकालीन कलाकारों को अपनी प्रस्तुतियां देने और उनके काम पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। इनमें अदिति मांगलदास भी शामिल हैं, जो शास्त्रीय कथक के साथ-साथ समकालीन कथक नृत्य के लिए भी जानी जाती हैं।

भाव एक्सपो 2025: भारतीय कारीगरी और कला का अद्भुत संगम, जहां आप सीखें और अन्वेषण करें भाव एक्सपो 2025 में आपको भारतीय कारीगरी और कला का बेहतरीन संग्रह देखने को मिलेगा, जहां भारतीय उद्यमी और कलाकार अपनी कला को प्रदर्शित करेंगे। एक्सपो में आप विशेषज्ञों से विभिन्न कलाशैलियों जैसे मधुबनी, कलमकारी, वर्ली, गोंड कला, पटचित्र और मैसूर पेंटिंग सीख सकते हैं। साथ ही, आपको शानदार हस्तशिल्प, सौंदर्य उत्पाद, वस्त्र, सजावटी सामान और पारंपरिक व्यंजनों का अद्भुत अनुभव भी मिलेगा। यह आयोजन खरीददारी करने और कला सीखने का एक अनोखा अवसर है। भारत की सांस्कृतिक गाथा का जीवंत प्रदर्शन करते हुए, आप यहां आदिवासी नृत्य प्रदर्शन, शास्त्रीय कर्नाटक संगीत का उत्सव, केरल का रहस्यमयी मुथप्पन थीयम और प्राचीन ज्ञान और उसकी आधुनिक प्रासंगिकता को दर्शाने वाली संस्कृत प्रदर्शनी जैसी अद्भुत प्रस्तुतियां देख सकते हैं। 

20 संगीत वाद्ययंत्र और लोक और शास्त्रीय नृत्य रूपों का संगम

भाव में 20 से अधिक वाद्ययंत्रों का मंत्रमुग्ध कर देने वाला मिश्रण होगा, जिसमें तबला, पखावज, मृदंगम, ढोलक, सारंगी, हारमोनियम, सितार, वीणा, बांसुरी, सैक्सोफोन और जियो श्रेड शामिल हैं।

सम्मलेन में प्रदर्शित होने वाले नृत्य रूपों में कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओडिसी, मोहिनियट्टम, कथकली, सत्त्रिय और मणिपुरी शामिल हैं, साथ ही साथ महाराष्ट्र और कर्नाटक से 7-8 अन्य लोक नृत्य रूपों जैसे छऊ, लावणी, गरबा आदि को भी जगह दी जाएगी।

कला रूपों का पुनरुद्धार- भाव में हम माच के बारे में जानेंगे जो मध्यप्रदेश का एक लोक नृत्य-नाटक है, जिसे पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता था लेकिन इस बार इसमें महिलाओं की भागीदारी होगी। माच एक अनोखी और विलुप्त होती हुई लोक परंपरा है।

भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में ट्रांस समुदाय के योगदान का उत्सव भाव ट्रांस समुदाय के अद्वितीय योगदान को सम्मानित करेगा और इसका उत्सव मनाएगा, जिसमें कलाकारों के साथ महत्वपूर्ण संवाद और सहभागिता होगी। इसमें विशेष रूप से पद्मश्री मंजम्मा जोगठी का योगदान रहेगा, जिन्होंने जोगठी नृत्य परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया और कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांस अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त किया। यह अकादमी राज्य की सबसे प्रतिष्ठित संस्था है, जो प्रदर्शन कला को समर्पित है।

सुशांत दिवगिकर, जिन्हें रानी को-हे-नूर के नाम से भी जाना जाता है, जो समुदाय के लिए एक मजबूत आवाज हैं भी महोत्सव में उपस्थित होंगे। भाव में एक भरतनाट्यम प्रदर्शन- साप्तमातृका भी प्रदर्शित किया जाएगा जिसमें कोलकाता के 10 ट्रांसजेंडर कलाकारों की भागीदारी होगी, जिसका नेतृत्व रात्रि
दास करेंगी।

उम्र की कोई सीमा नहीं- भाव कलात्मक विरासत का एक कालातीत उत्सव होगा, जिसमें एक तरफ 93 वर्षीय वीणा कलाकार को कलासारथी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा और दूसरी तरफ 8-9 वर्ष के उभरते कलाकार भी अपनी प्रस्तुति दे सकेंगे। ये छोटे कलाकार अपनी असाधारण प्रतिभा और
सीखने की गहरी जिज्ञासा के साथ मंच पर आएंगे, जो कला के प्रति उनके अटूट समर्पण को दर्शाएगा।

नाट्य कला रूपों को मिलेगा यहां एक अद्वितीय मंच
इस वर्ष भाव महोत्सव में नाट्य जगत के दिग्गज कलाकारों की विशेष उपस्थिति होगी, जिन्होंने भारतीय नाट्य कला को वैश्विक मंच पर पहुंचाया है। इनमें पद्मश्री ओमप्रकाश शर्मा शामिल हैं, जो माच नाट्य रूप प्रस्तुत करेंगे, जिसे अब उन्होंने महिला कलाकारों के लिए भी खोल दिया है और इसमें मध्यप्रदेश की दुर्लभ दिव्य कथाएं दिखाई जाएंगी। इसके अलावा पद्मश्री बलवंत ठाकुर, जो डोगरी नाटक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रसिद्ध हैं और नाट्य जगत के महान पद्मश्री वामन केंद्रे, जो एनएसडी के पूर्व निदेशक रहे हैं भी इस महोत्सव का हिस्सा होंगे।

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संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

भाव महोत्सव सिर्फ सांस्कृतिक प्रदर्शन का मंच नहीं है बल्कि यह कलाकारों को ताजगी और पुनर्निर्माण का अनुभव भी देता है, जिससे वे अपनी कला के मूल स्रोत तक पहुंच पाते हैं, जहां से सारी रचनात्मकता जन्म लेती है। इस साल का विषय आंतरिक शांति और बाहरी गतिशीलता,इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे आत्मिक शांति और रचनात्मकता से कला को पोषित किया जाता है।

महोत्सव के प्रत्येक दिन विशेष विषय को समर्पित होगा :
24 जनवरी – अभिव्यक्ति
25 जनवरी – अधिगति (सीखने की खुशी)
26 जनवरी – अनुभूति (अनुभव)

दिव्य समीकरण
भाव महोत्सव में 30 कलाकारों द्वारा एक भव्य संगीत संगीतमाला और दृश्य प्रस्तुति का आयोजन किया जाएगा, जिसका नेतृत्व प्रतिष्ठित संगीत सम्राट चित्रवीणा एन. रविकिरण करेंगे। यह प्रस्तुति कला और संगीत के अद्भुत संगम का अनुभव प्रदान करेगी, जो दर्शकों को एक अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाएगी।

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