Edited By Jyoti,Updated: 04 Jan, 2019 11:54 AM
अक्सर हमने देखा सुना है कि किसी भी तरह के पूजा-पाठ में पति के साथ पत्नी का होना बहुत ज़रूरी समझा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जिस धार्मिक काम में पति को पत्नी का साथ न मिले
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अक्सर हमने देखा सुना है कि किसी भी तरह के पूजा-पाठ में पति के साथ पत्नी का होना बहुत ज़रूरी समझा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जिस धार्मिक काम में पति को पत्नी का साथ न मिले, उसे कभी भी संपन्न नहीं माना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग हैं जिन्हें ये पता होगा आखिर इन सब के दौरान पत्नी को पति की किस ओर बैठना चाहिए। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कि पत्नी को अपनी पति की किस ओर बैठकर हर तरह के धार्मिक काम को संपन्न करना चाहिए।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार पत्नी को हमेशा पूजा में अपने पति के दाएं हाथ की तरफ़ बैठना चाहिए। ज्योतिष में भी इस ओर बैठना ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इसमें ये भी कहा गया है कि किसी भी प्रकार के यज्ञ, होम, व्रत, दान, स्नान, देवयात्रा और विवाह इत्यादि कर्मों में भी पत्नी का अपने पति के दाएं हाथ की ओर बैठना ही अच्छा होता है। ग्रंथों आदि में कहा गया है कि अगर इन बातों को ध्यान में रखकर धार्मिक कार्यों को संपन्न किया जाए तो इसका सही फल मिलता है। वहीं अगर बैठने की दिशा गलत हो तो शुभ कर्मों का फल पूरी तरह से प्राप्त नहीं होता। इसलिए धार्मिक कार्यों में पति-पत्नी के बैठने की दिशा का खास रूप से ख्याल रखा जाना चाहिए।
इसके अलावा बड़ों के चरण छूते समय,सोते समय और भोजन करते समय में भी पति-पत्नी की दिशा का निर्धारण किया गया है कि चरण छूने,सोने और भोजन करने के समय पत्नी का सही स्थान पति के बाएं हाथ की ओर है। बता दें दिशा के भूल जाने को किसी तरह का अपराध तो नहीं माना गया है परंतु इससे उस कर्म का ज्यादा फल प्राप्त नहीं हो पाता।
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