Edited By Jyoti,Updated: 24 Sep, 2020 12:23 PM
सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा करना अत्यंत लाभकारी मानी गई है। इन देवताओं की पूजा की विधि की बात करें तो बाखूबी इसका शास्त्रों में वर्णन किया गया है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा करना अत्यंत लाभकारी मानी गई है। इन देवताओं की पूजा की विधि की बात करें तो बाखूबी इसका शास्त्रों में वर्णन किया गया है। मगर शास्त्रों में सबसे अधिक लाभ दिलवाने वाली पूजा भगवान शंकर की मानी जाती है। कहते हैं त्रिदेव में से प्रमुख कहलाने वाले भगवान शंकर बहुत ही सरलता से अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। जी हां, ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है इनकी पूजन विधि अन्य देवी-देवताओं की तुलना में अधिक सरल होती है। मगर कुछ ऐसे लोग होते हैं जो उसे भी किसी न किसी कारणवश नहीं कर पाते। तो ऐसें ज्योतिष शास्त्री इसका हल बताते हैं शिव के सबसे पावरफुल मंत्र का जाप। जी हां, आप सही सोच रहे हैं, हम बात कर रहे हैं शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय की। धार्मिक मान्यताएं हैं कि ‘ॐ’ में इतनी शक्ति है कि, केवल इसके जाप मात्र से कोई भी व्यक्ति ईश्वर को बहुत ही सरलता से पा सकता है। इसमें पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान समाया हुआ है। यही कारण है कि हर कोई शिव की कृपा पाने के लिए इसका ही उच्चारण करता है। आइए आपको बताते हैं इसकी शक्तियां के बारे में साथ ही जानते हैं कि इसका उच्चारण कैसे करना चाहिए।
‘ॐ’ का स्थान सर्वोपरि है। हिंदू धर्म में सभी मंत्रों का उच्चारण ॐ से ही शुरु होता है। ‘ॐ’ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म। इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी किया गया है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार इसके उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो ‘ॐ’ का उच्चारण करते वक्त कुछ विशेष सावधानियों का ध्यान रखना अधिक आवश्यक माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे कि ‘ॐ’ का उच्चारण करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
‘ॐ’ का जप प्रातः उठकर स्नान आदि के बाद पवित्र होकर ही करना चाहिए।
इसका जाप हमेशा स्वच्छ और खुले वातावरण में ही करें।
इस बात का खास ध्यान रखें ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर हो।
ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि इसका उच्चारण जोर से तथा धीरे-धीरे बोल कर भी किया जा सकता है।
साथ ही साथ इसकी जप माला से भी की जा सकती है।
ध्यान रहे ‘ॐ’ का उच्चारण 5,7,11 या 21 बार से कम का नहीं करना चाहिए।