Tirupati Balaji Mandir Controversy: 40 साल से उठ रहे तिरुपति मंदिर के प्रसाद पर सवाल

Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Sep, 2024 07:44 AM

tirupati balaji mandir controversy

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर का प्रसाद पहली बार विवादों में नहीं आया है। प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर पिछले 40 वर्षों से सवाल उठाए जा रहे हैं।  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लड्डू

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नई दिल्ली (विशेष) : आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर का प्रसाद पहली बार विवादों में नहीं आया है। प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर पिछले 40 वर्षों से सवाल उठाए जा रहे हैं।  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लड्डू की गुणवत्ता पर 1985 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। लड्डू को लेकर हुए विवाद के बाद प्रसाद का निर्माण केंद्रीय तकनीक अनुसंधान संस्थान की देखरेख में कराने का निर्णय लिया गया। वर्ष 1979 से संस्थान लड्डुओं के निर्माण में मंदिर बोर्ड की मदद करता था। वर्ष 1985 से संस्थान को प्रसाद की जांच करने की भी अनुमति प्रदान की गई।

बता दें कि तिरुमाला श्रीवारी के प्रसाद के रूप में लड्डुओं का वितरण 300 साल पहले शुरू हुआ था। मान्यता है कि 2 अगस्त 1715 को पहली बार भक्तों को प्रसाद में लड्डू दिए गए थे। 2010 तक वे प्रतिदिन एक लाख तक लड्डू बनाते थे। वर्तमान में बढ़ती संख्या को पूरा करने के लिए प्रतिदिन 3.20 लाख लड्डू तैयार किए जा रहे हैं। 

अंबाजी मंदिर में हुआ था ‘प्रसाद’ को लेकर विवाद
गुजरात के बनासकांठा जिले के प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में पारंपरिक प्रसाद ‘मोहनथाल’ की जगह ‘चिक्की’ (मूंगफली और गुड़ से बनी मिठाई) दिए जाने को लेकर पिछले साल विवाद खड़ा हो गया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ भाजपा के समर्थकों द्वारा रुपए कमाने के लिए परंपरा से छेड़छाड़ का प्रयास किया जा रहा है। ठाकोर का दावा है कि ‘मोहनथाल’ (बेसन, घी और चीनी से बनी मिठाई) अनादि काल से अंबाजी मंदिर में एक पारंपरिक प्रसाद रहा है। वहीं, गुजरात के मंत्री और सरकार के प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने कहा था कि ‘चिक्की’ लंबे समय तक खराब नहीं होती है। इसे दूर बैठे भक्तों द्वारा ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है।

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