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आंखों की सुंदरता और एकाग्रता को बढ़ाने के लिए इस क्रिया का करें नियमित अभ्यास

Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Dec, 2024 10:52 AM

tratak meditation

मानव शरीर एक जटिल प्रणाली है, इसके बावजूद वैदिक ऋषियों ने इसे पूर्णतः समझकर शरीर के प्रत्येक अंग को स्वच्छ, सशक्त, जीवंत एवं स्वस्थ रखने हेतु कई लाभदायक क्रियाएं दीं।

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Tratak Meditation: मानव शरीर एक जटिल प्रणाली है, इसके बावजूद वैदिक ऋषियों ने इसे पूर्णतः समझकर शरीर के प्रत्येक अंग को स्वच्छ, सशक्त, जीवंत एवं स्वस्थ रखने हेतु कई लाभदायक क्रियाएं दीं। आज बात करेंगे नेत्रों को स्वस्थ रखने के लिए कौन सी क्रिया करनी चाहिए। 

अक्सर लोग यह सुनकर चकित रह जाते हैं कि मानव शरीर की सबसे सक्रिय मांसपेशियां आंखों की होती हैं।

इसे समझने के लिए एक प्रयोग करें- किसी भी आरामदायक मुद्रा में बैठकर अपनी आंखें बंद कर लें और कुछ क्षणों के लिए अपने नेत्रगोलकों को स्थिर रखने का प्रयास करें। आप पाएंगे कि आंखों को कुछ क्षण के लिए भी स्थिर रखना अत्यंत कठिन है। 

PunjabKesari Tratak meditation

ऐसा क्यों ? हमारे नेत्रगोलकों कि स्थिरता अथवा क्रियाशीलता का सीधा संबंध हमारे मस्तिष्क में आनेवाले विचारों की गति से हैं। ये विचार ही तो हैं जो हमारी  इंद्रियों को इच्छापूर्ति के लिए सदैव व्यस्त रखती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कभी विश्राम नहीं मिलता और साथ ही हमारे नेत्रगोलक भी निरंतर क्रियाशील रहते हैं।

त्राटक एक ऐसी प्राचीन वैदिक तकनीक है जिसका नियमित अभ्यास न केवल आंखों को स्वच्छ करता है अपितु आखों की मांसपेशियों को आराम भी देता हैं। साथ ही यह आखों की सुंदरता और एकाग्रता को बढ़ाता है। इसके नियमित अभ्यास से दृष्टि में भी सुधार होता है।

वज्रासन या किसी आरामदायक स्थिति में अपनी पीठ सीधी रखते हुए बैठें। एक दीपक को आंखों के स्तर पर, दो फुट की दूरी पर रखें। यह आवश्यक है कि दीपक को गाय के घी से ही जलाएं क्योंकि इसमें औषधीय गुण होते हैं, जबकि मोम आदि पदार्थों से हानिकारक धुआं होता है। दीपक की लौ के नीले केन्द्र में एकटक देखें। कुछ समय बाद आंखों से पानी निकलने लगेगा। 5-10 मिनट के लिए इस प्रक्रिया को जारी रखें और धीरे-धीरे यथासंभव समय में वृद्धि करते जाए। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने पर विचारों को स्थिर करने और एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि होगी। 

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अब धीरे से आंखें बंद करें और आंतरिक रूप से लौ को देखना जारी रखें। कुछ मिनट बाद, धीरे से उठें। अपने मुंह में पानी भरें, इसे पीना नहीं है। पानी अपने मुंह में रखते हुए आंखों को धोना शुरू करें, ऐसा लगातार पांच मिनट के लिए करें और फिर मुंह से पानी बाहर थूक दें। त्राटक के दैनिक अभ्यास से न केवल दृष्टि में सुधार होता है अपितु आंखों की चमक और आकर्षण भी बढ़ता है।

इस क्रिया को कुछ उच्च क्रियाओं के साथ, जिनका उल्लेख  'सनातन क्रिया- एजलेस डाइमेंशन' में किया गया है, अभ्यास करने से शरीर में स्थित सूक्ष्म नाड़ियां खुलती हैं और अंतर्दृष्टि संबंधित क्षमताएं जागृत होती हैं।  

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स्थूल आंखों की दृष्टि सीमित है परंतु इन क्रियाओं के सही अभ्यास से इन सीमाओं को बढ़ाया जाता है और फिर एक साधक अपनी अंतर्दृष्टि का प्रयोग कर, समय और स्थान के विभिन्न आयामों में होने वाली घटनाओं को न केवल अनुभव अपितु साक्षात देख पाता है ।

अश्विनी गुरुजी 


 

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